भारतीय महिला क्रिकेट का यह वह पल है जिसे आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी। पहली बार टीम इंडिया ने महिला वनडे विश्व कप का ताज अपने नाम किया है। हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में भारत ने फाइनल में साउथ अफ्रीका को 52 रनों से हराकर इतिहास रच दिया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती—आईसीसी ने टूर्नामेंट की ‘सर्वश्रेष्ठ टीम’ की घोषणा की है, जिसमें भारत की तीन नायिकाओं ने अपनी जगह पक्की की है। हालाँकि हैरानी की बात यह रही कि विश्व कप विजेता कप्तान हरमनप्रीत कौर का नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है

स्मृति, जेमिमा और दीप्ति बनीं भारत की गौरवगाथा
भारत की तीनों चयनित खिलाड़ियों ने इस विश्व कप में बल्ले और गेंद से जादू बिखेरा।
- स्मृति मंधाना ने 434 रन ठोके, जिनमें एक शतक और दो अर्धशतक शामिल रहे। उनका औसत 54.25 का रहा और वे पूरे टूर्नामेंट में लॉरा वोल्वार्ड्ट के बाद सबसे ज़्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी रहीं।
- जेमिमा रोड्रिग्स ने अपनी लय और क्लास दोनों से सबका दिल जीता। 292 रन, एक शतक और सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी नाबाद 127 रन की पारी, जिसने भारत को फाइनल तक पहुँचाया—वो नज़ारा क्रिकेट फैंस कभी नहीं भूल पाएँगे।
- दीप्ति शर्मा, जिन्हें ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ चुना गया, ने 215 रन बनाने के साथ-साथ 22 विकेट झटके। उन्होंने साबित कर दिया कि ऑलराउंडर सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी होती है।
वोल्वार्ड्ट को सौंपी गई सर्वश्रेष्ठ टीम की कप्तानी
साउथ अफ्रीका की कप्तान लोरा वोल्वार्ड्ट को टूर्नामेंट की सर्वश्रेष्ठ टीम की कप्तान बनाया गया है। उन्होंने 571 रनों के साथ रिकॉर्ड तोड़ा और बल्लेबाजी में नई मिसाल कायम की।
साउथ अफ्रीका की तीन खिलाड़ियों ने भी इस टीम में अपनी जगह बनाई है, जो इस बात का सबूत है कि फाइनल भले भारत ने जीता हो, लेकिन साउथ अफ्रीका ने दिल से खेला।
ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और पाकिस्तान का भी प्रतिनिधित्व
ऑस्ट्रेलिया की एनाबेल सदरलैंड, ऐश गार्डनर, और अलाना किंग को भी स्थान मिला है। पाकिस्तान की सिदरा नवाज और इंग्लैंड की सोफी एक्लेस्टोन को भी टीम में शामिल किया गया है। नैट साइवर-ब्रंट को 12वें खिलाड़ी के रूप में चुना गया, जो उनकी निरंतरता और मैच-अवेयरनेस की पहचान है।
भारत के लिए यह सिर्फ जीत नहीं, एक नई शुरुआत है
यह खिताब सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि उस सफर का इनाम है जिसमें भारतीय महिला टीम ने हर चुनौती को अवसर में बदला।
हरमनप्रीत कौर भले टीम ऑफ द टूर्नामेंट में न हों, लेकिन उनकी कप्तानी ने इस टीम को वह आत्मविश्वास दिया जिसने भारत को पहली बार विश्व विजेता बना दिया।


