वॉशिंगटन — अमेरिका के उपराष्ट्रपति J. D. वेंस ने हाल ही में एक कार्यक्रम में यह कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि उनकी पत्नी उषा वेंस, जो हिंदू पृष्ठभूमि से आती हैं, एक दिन ईसाई धर्म को अपना लें। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह पूरी तरह उनका व्यक्तिगत – स्वतंत्र निर्णय होगा। इस टिप्पणी ने भारतीय-अमेरिकी समुदाय में तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है।
पृष्ठभूमि:
उषा वेंस का जन्म तेलुगू हिंदू परिवार में हुआ था और उन्होंने अब तक अपना धर्म नहीं छोड़ा है। वहीँ वेंस पहले प्रोटेस्टेंट ईसाई थे, 2019 में उन्होंने कैथोलिक धर्म स्वीकार किया था। 2014 में उनकी और उषा की शादी हुई थी, जिसमें हिंदू पंडित और कैथोलिक पादरी दोनों शामिल थे।
विवाद कैसे शुरू हुआ?
इस विवाद की जड़ एक कार्यक्रम में वेंस द्वारा दिया गया बयान है जहाँ एक छात्र ने धर्म और शादी से जुड़ा प्रश्न किया। जवाब में वेंस ने कहा: “मैं चाहता हूँ कि मेरी पत्नी भी उसी तरह प्रभावित हों जैसे मैं हुआ था, लेकिन यदि वे ऐसा नहीं करतीं, तो यह उनका अधिकार है।” उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों को ईसाई परंपरा से परिचित करवाया जा रहा है। इस बयान को सुनते ही सोशल मीडिया एवं भारतीय-अमेरिकी समुदाय में “हिंदू पहचान के प्रति असम्मान” तथा “धर्मांतरण-दबाव” के आरोप उठने लगे।

राजनीतिक-सांस्कृतिक आयाम
यह विवाद कहीं न कहीं अमेरिका में धार्मिक विविधता, व्यक्तिगत आस्था और राजनीतिक पहचान के बीच उलझनों को सामने ला रहा है। वेंस की टिप्पणी ने ये सवाल खड़ा कर दिया है: क्या सार्वजनिक तौर पर धार्मिक-हेतु बयान देना एक निजी रिश्ते में उपयुक्त है, या यह राजनीतिक छाप छोड़ने का माध्यम बन सकता है? खासकर तब जब उनकी पत्नी की पृष्ठभूमि हिंदू है और अमेरिकी-भारतीय समुदाय इस पर संवेदनशील है। इसके अलावा, 2028 के राष्ट्रपति चुनाव की दृष्टि से वेंस की छवि पर भी इसका असर पड़ सकता है।
आगे क्या हो सकता है?
- यदि वेंस इस विवाद को समय रहते कुशलता से संभालें, तो राजनीतिक क्षति को सीमित किया जा सकता है।
- उषा वेंस ने स्पष्ट किया है कि उनकी आस्था उनके निजी मामलों का विषय है, जिसे किसी के नजरिए से नहीं तौला जाना चाहिए। यह दृष्टिकोण उनकी जगह-और-पहचान को सुरक्षित रखने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
- भारतीय-अमेरिकी समुदाय, और अमेरिका में धर्म-विविधता पर चर्चा करने वाले प्लेटफॉर्म पर यह घटना लंबे समय तक विषय बने रह सकती है।


