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लालच के आगे शर्मसार हुई दोस्ती: 20 लाख की FD के लिए युवक की दर्दनाक हत्या

जिस पर भरोसा था वही बना कातिल, कानपुर में दिल दहला देने वाली हत्या

                                                      जिस दोस्ती पर था भरोसा वही बना कत्ल की वजह

कानपुर के गुजैनी थाना क्षेत्र से एक ऐसी सनसनीखेज वारदात सामने आई है, जिसने दोस्ती जैसे पवित्र रिश्ते को शर्मसार कर दिया। महज 20 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट हथियाने के लालच में तीन युवकों ने अपने ही जिगरी दोस्त विपिन तिवारी उर्फ गुड्डू (32) की निर्मम हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को पांडु नदी के किनारे फेंक दिया गया और पहचान छिपाने के लिए चेहरे को बोरी से ढक कर उस पर पत्थर रख दिए गए।

मुआवजे की रकम बनी मौत की वजह

विपिन के पिता गंगाप्रसाद तिवारी को डिफेंस कॉरिडोर परियोजना में भूमि अधिग्रहण के बदले करीब 2.40 करोड़ रुपये का मुआवजा मिला था। उन्होंने दोनों बेटों के नाम 20-20 लाख रुपये की एफडी करवाई थी। इसी एफडी की जानकारी विपिन के दोस्तों – मनोज दीक्षित उर्फ लाखन, अरविंद चंदेल और ऑटो चालक प्रदीप साहू – को मिल गई। पैसों की तंगी से जूझ रहे तीनों ने मिलकर इस राशि को हड़पने के लिए विपिन को ही रास्ते से हटाने की खौफनाक योजना बना डाली।

रात में रची गई साजिश

2 दिसंबर की रात तीनों दोस्तों ने विपिन को बारा देवी चौराहे पर बुलाया। पहले उसे नशीला कोल्ड ड्रिंक पिलाया गया, फिर शराब पिलाकर बेहोशी की हालत में ले आए। इसी दौरान आरोपियों ने उसका UPI पिन हासिल कर खाते से करीब 6 हजार रुपये निकाल लिए, लेकिन एफडी की रकम न निकाल पाने से उनका गुस्सा और बढ़ गया। जब विपिन को होश आया और उसने विरोध किया, तो उसे जबरन ऑटो में बैठाकर मेहरबान सिंह का पुरवा इलाके में ले जाया गया।

गला घोंटा, सिर कुचला

वहां विपिन की रस्सी से हाथ बांधे गए, गला घोंटा गया और बाद में ईंट-पत्थरों से सिर कुचलकर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। आरोपियों ने स्वीकार किया कि घटना के वक्त वे खुद भी नशे की हालत में थे। मदद की गुहार लगाता विपिन उनसे जिंदगी बख्शने की गुहार लगाता रहा, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा।

शव देखा, फिर भाग निकले

हत्या के अगले दिन मनोज और अरविंद बाइक से यह देखने भी गए कि विपिन मर चुका है या नहीं। 3 दिसंबर की सुबह टहलने निकले लोगों ने पांडु नदी किनारे शव देखा और पुलिस को सूचना दी। शुरुआत में भटकाव के चलते पुलिस ने कुछ रिश्तेदारों को हिरासत में लिया, मगर जांच आगे बढ़ने पर सुराग दोस्तों तक पहुंच गया।

मोबाइल कॉल और CCTV बन गए सबूत

विपिन के मोबाइल की अंतिम कॉल मनोज दीक्षित के नंबर पर रिकॉर्ड मिली। इसके बाद लोकेशन ट्रेस और CCTV फुटेज के जरिए पुलिस ने पूरे घटनाक्रम को जोड़ा। सख्ती से पूछताछ करने पर तीनों आरोपी टूट गए और उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया। रविवार को डीसीपी साउथ दीपक नाथ चौधरी ने प्रेस वार्ता में गिरफ्तारी की पुष्टि की।

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

विपिन अपने परिवार – पत्नी शैलू, माता रामसुती, पिता गंगाप्रसाद और दो जुड़वां बेटों रामजी-श्यामजी – के साथ साढ़ कस्बे में रहता था। वह पिछले आठ वर्षों से ट्रांसपोर्ट नगर स्थित एक पान मसाला फैक्ट्री में काम करता था। 2 दिसंबर को फैक्ट्री के लिए निकला विपिन कभी वापस नहीं लौटा।

पिता के सपने ही बेटे की मौत का कारण बने

पिता गंगाप्रसाद बदहवास हैं। जिस एफडी को उन्होंने बेटे की सुरक्षा और भविष्य के लिए कराया था, वही आखिरकार उसकी हत्या का कारण बन गई। पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ हत्या, आपराधिक षड्यंत्र और सबूत मिटाने की धाराओं में केस दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया है।

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