मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि चेन्नई स्थित दवा निर्माता कंपनी श्रीसन फार्मास्युटिकल्स ने सिरप बनाने में फार्मा-ग्रेड की जगह इंडस्ट्रियल-ग्रेड कच्चा माल इस्तेमाल किया, जिसकी कोई गुणवत्ता जांच नहीं कराई गई थी।

बुधवार को जारी बयान में ईडी ने दावा किया कि तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग के कुछ अधिकारी आरोपी कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन के संपर्क में लगातार बने रहे, इसके बावजूद कंपनी का जरूरी सालाना निरीक्षण नहीं हुआ। इसी मामले में ईडी ने रंगनाथन और उनके परिजनों से जुड़े चेन्नई के कोडम्बक्कम इलाके में स्थित दो फ्लैट कुर्क कर लिए हैं, जिनकी कुल कीमत करीब 2.04 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
इससे पहले मध्य प्रदेश पुलिस ने अक्टूबर में रंगनाथन को गिरफ्तार किया था। ईडी का आरोप है कि कंपनी ने उत्पादन लागत घटाने और मुनाफा बढ़ाने के लिए गैरकानूनी गतिविधियों का सहारा लिया। जांच में यह भी पाया गया कि दवा निर्माण के लिए कच्चा माल नकद भुगतान कर बिना बिल के खरीदा गया, जो सीधे तौर पर नियमों का उल्लंघन है।
उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने संसद में जानकारी दी कि इस घटना के बाद देशभर में 700 से ज्यादा कफ सिरप निर्माताओं की सघन जांच की जा रही है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, पंढुर्ना और बैतूल जिलों में 26 बच्चों की मौत कथित तौर पर कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने के बाद हुई थी। इनमें अधिकांश बच्चे पांच साल से कम उम्र के थे और उनकी मृत्यु का कारण किडनी फेल्योर बताया गया है। ईडी ने मध्य प्रदेश और तमिलनाडु पुलिस की विविध एफआईआर के आधार पर आरोपियों के खिलाफ धन शोधन रोकथाम कानून के तहत अलग केस दर्ज कर रखा है। मामले की जांच अभी जारी है।


