परमवीर मेजर शैतान सिंह की विरासत को आगे बढ़ा रहीं दो बहादुर पोतियां

1962 के भारत–चीन युद्ध में रेजांग ला की भीषण ठंड और दुश्मन की भारी संख्या के बीच जिस अधिकारी ने अदम्य साहस का परिचय दिया, वह थे परमवीर चक्र से सम्मानित मेजर शैतान सिंह। लगभग 2000 चीनी सैनिकों के सामने मात्र 120 भारतीय जवान डटे थे। गोलियों की बारिश के बीच भी मेजर शैतान सिंह न केवल पलटवार कर रहे थे, बल्कि अपने साथियों का हौसला भी बुलंद बनाए हुए थे। हाथ पर गोली लगने के बाद भी उन्होंने मोर्चा नहीं छोड़ा। ट्रिगर को रस्सी से पैर से बांधकर अंतिम सांस तक लड़ने की मिसाल कायम की। आज उन्हीं वीर अधिकारी की शौर्यगाथा उनकी अगली पीढ़ी भी गर्व से आगे बढ़ा रही है।
शहीद मेजर की दोनों पोतियां बनीं ‘फौजी’
मेजर शैतान सिंह के बेटे बीएस भाटी बैंक में कार्यरत रहे और परिवार राजस्थान के जोधपुर में रहता है। देशसेवा का जज्बा परिवार की परंपरा जैसा है। इसी प्रेरणा से उनकी दोनों पोतियों—दिव्या भाटी और डिंपल भाटी—ने सेना को ही अपना करियर चुना।
- दिव्या भाटी भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर सेवा दे रही हैं।
- उनकी छोटी बहन डिंपल भाटी पिछले वर्ष लेफ्टिनेंट के तौर पर कमीशन हुईं और वर्तमान में कुपवाड़ा (जम्मू-कश्मीर) में तैनात हैं।
बचपन से था वर्दी पहनने का सपना
दोनों बहनों के भीतर बचपन से ही सेना में जाने का जुनून था। डिंपल ने कंप्यूटर साइंस में बीटेक करने के बाद एसएसबी की तैयारी की और चेन्नई की ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी से सिल्वर मेडल प्राप्त कर पासआउट हुईं। उनकी पहली ही तैनाती कुपवाड़ा जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में हुई।
पिता बीएस भाटी के अनुसार, बेटियों के सेना में जाने को लेकर समाज में कई तरह की बातें होती थीं, लेकिन दोनों ने अपने दादा की वीरता को अपनी प्रेरणा मानकर ही आगे बढ़ने का फैसला किया।
कर्तव्यपथ पर स्टंट से देश को गर्वित किया
डिंपल भाटी न केवल एक सक्षम अधिकारी हैं, बल्कि अपने कौशल और आत्मविश्वास से भी सबको प्रभावित करती हैं।
2023 के गणतंत्र दिवस पर उन्होंने डेयरडेविल्स कोर ऑफ सिग्नल्स के साथ कर्तव्यपथ पर रॉयल एनफील्ड पर शानदार मोटरसाइकिल स्टंट दिखाया। यह वही प्रतिष्ठित टीम है जो हर वर्ष अपने प्रदर्शन से देशवासियों का मन जीतती आई है।


