राजस्थान के चर्चित गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर प्रकरण में बड़ा फैसला सामने आया है। जोधपुर की जिला एवं सत्र अदालत ने उन सात पुलिस अधिकारियों को राहत देते हुए निचली अदालत का फैसला रद्द कर दिया है, जिसमें उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पुलिस टीम ने अपनी रक्षा में जवाबी कार्रवाई की थी और यह उनके आधिकारिक कर्तव्यों में शामिल था।

निचली अदालत का आदेश खारिज
चूरू जिले के तत्कालीन एसपी राहुल बारहट समेत तीन अधिकारियों और चार पुलिसकर्मियों पर 2017 के एनकाउंटर को लेकर हत्या का केस चलाने का आदेश अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीबीआई केस) ने जुलाई 2024 में दिया था। इसी आदेश को चुनौती देते हुए अधिकारियों ने सेशन कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दायर किया था, जहाँ अब उन्हें राहत मिल गई है।
कोर्ट ने माना – ‘पुलिस पर AK-47 से हमला हुआ’
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस दल 41 गंभीर केसों में वांटेड आनंदपाल को पकड़ने गया था। इस दौरान आनंदपाल ने AK-47 से लगातार फायरिंग की, जिसमें पुलिसकर्मी घायल हुए। ऐसे हालात में पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी को कोर्ट ने आत्मरक्षा माना।
जज अजय शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के ओम प्रकाश बनाम झारखंड सरकार वाले फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अगर कोई अधिकारी ड्यूटी निभाते समय कुछ सीमा से आगे भी चला जाए, लेकिन उसका सीधा संबंध सरकारी कार्य से है, तो उसे सीआरपीसी की धारा 197 के तहत सुरक्षा मिलनी चाहिए।
गवाहों की गवाही पर संदेह
एनकाउंटर के बाद मृतक आनंदपाल के भाई ने खुद को चश्मदीद बताते हुए पुलिस पर आरोप लगाए थे, लेकिन कोर्ट ने पाया कि उसने जांच के दौरान ऐसा कोई दावा नहीं किया था। करीब छह साल बाद सामने आई उसकी गवाही न सिर्फ विरोधाभासी थी बल्कि सबूतों से भी मेल नहीं खाती।
सीबीआई की वैज्ञानिक जांच ने भी इन आरोपों को आधारहीन बताया।
परिवार करेगा हाई कोर्ट में अपील
फैसले को लेकर आनंदपाल की पत्नी राज कंवर के वकील भवेर सिंह ने कहा कि वे इस निर्णय को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।


