नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों के बाद भारतीय जनता पार्टी ने तुरंत सख्त रुख अपनाया है। शनिवार (15 नवंबर) को पार्टी ने वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को अनुशासनहीनता का दोषी मानते हुए अस्थायी रूप से पार्टी से बाहर कर दिया। पार्टी ने उनसे सात दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा है।

भाजपा ने दो और नेताओं पर भी कार्रवाई
आरके सिंह के अलावा बिहार भाजपा ने एमएलसी अशोक कुमार अग्रवाल और कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल को भी पार्टी-लाइन के खिलाफ काम करने के आरोप में निलंबित कर दिया है। इन दोनों को भी एक सप्ताह के भीतर कारण बताओ नोटिस का जवाब देना होगा।
आरके सिंह पर कार्रवाई की वजह क्या है?
केंद्र में ऊर्जा मंत्री रह चुके और पूर्व गृह सचिव आरके सिंह हाल के दिनों में संगठन और एनडीए सहयोगियों के कामकाज पर लगातार नाराज़गी जता रहे थे। उन्होंने भ्रष्टाचार, गुटबाजी और चुनावी प्रबंधन जैसे मुद्दों पर पार्टी नेतृत्व की खुलकर आलोचना की थी।
चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने मोकामा हिंसा को प्रशासन और चुनाव आयोग दोनों की विफलता बताया था। इतना ही नहीं, उन्होंने सरकार पर लगभग 60,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप भी लगाया था।
अग्रवाल परिवार पर भी अनुशासनिक शिकंजा
पार्टी ने अशोक कुमार अग्रवाल के खिलाफ इसलिए कार्रवाई की, क्योंकि उन्होंने कटिहार में अपने बेटे सौरव अग्रवाल को वीआईपी उम्मीदवार के रूप में खड़ा कराया, जो भाजपा के निर्देशों के विरुद्ध माना गया। इसी वजह से उनकी पत्नी और मेयर उषा अग्रवाल को भी पार्टी विरोधी गतिविधियों का जिम्मेदार मानते हुए निलंबित कर दिया गया। इन कार्रवाइयों से यह संकेत जाता है कि चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा संगठनात्मक अनुशासन को लेकर किसी भी तरह की ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है।


