भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में एक समृद्ध कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बाल्यावस्था से ही तेजस्वी बुद्धि और व्यापक दृष्टि के धनी नेहरू आगे चलकर देश की आज़ादी और आधुनिक भारत के निर्माण के केंद्र बिंदु बने। उनकी जयंती को आज ‘बाल दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है।

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
नेहरू के पिता पंडित मोतीलाल नेहरू देश के प्रतिष्ठित वकीलों में शामिल थे, जबकि माता स्वरूप रानी उनके संस्कारों की आधारशिला रहीं। नेहरू ने 14 वर्ष की उम्र तक घरेलू शिक्षा प्राप्त की और फिर उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड रवाना हुए। हैरो स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद वे कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज पहुँचे, जहाँ उन्होंने नैचरल साइंस में ऑनर्स की डिग्री हासिल की।
स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका
विदेश से पढ़कर वापस लौटने के बाद नेहरू ने राजनीति को अपना कर्मक्षेत्र बनाया। महात्मा गांधी से प्रेरित होकर उन्होंने असहयोग आंदोलन, किसान मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन और नमक सत्याग्रह जैसे बड़े आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाई। स्वतंत्रता की राह में उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। विदेश यात्राओं के ज़रिये उन्होंने आज़ाद भारत की दिशा और स्वरूप को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी आवाज़ बुलंद की।
राजनीतिक यात्रा
1916 में गांधीजी से मुलाकात ने नेहरू के जीवन का रुख बदल दिया। 1919 में वे इलाहाबाद होम रूल लीग के सचिव बने और राजनीतिक गतिविधियों में उनकी सहभागिता बढ़ती गई। 1920 में प्रतापगढ़ में पहला किसान मार्च आयोजित किया।
1923 में उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का जनरल सेक्रेटरी चुना गया।
1926 से 1935 के बीच उन्होंने कई देशों की यात्रा की और नमक सत्याग्रह समेत अनेक आंदोलनों का हिस्सा बने। इसी दौरान अल्मोड़ा जेल में रहते हुए उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी, जो आज भी भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण दस्तावेज मानी जाती है।
1946 में वे चौथी बार कांग्रेस अध्यक्ष बने, जिससे स्वतंत्रता के अंतिम चरण में उनकी भूमिका और अधिक प्रभावी हुई।
पहले प्रधानमंत्री के रूप में योगदान
स्वतंत्रता के बाद जब देश निर्माण की चुनौती सामने थी, तब पंडित नेहरू ने आधुनिक भारत की नींव रखने का काम किया।
- धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत बनाने में उनका बड़ा योगदान रहा।
- औद्योगिकीकरण, वैज्ञानिक शोध, और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने संस्थागत विकास पर जोर दिया।
- आईआईटी, आईआईएससी जैसे संस्थान और बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग उनकी सोच का परिणाम थे।
- उन्होंने भारत की विदेश नीति, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाई।
17 वर्षों तक प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व करते हुए पंडित नेहरू ने राष्ट्र को आधुनिकता, विज्ञान और प्रगतिशील विचारों की दिशा में आगे बढ़ाया। आज, उनकी जयंती पर देश उनके विचारों, समर्पण और योगदान को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि देता है।


