देश में डायबिटीज के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और चिंताजनक बात यह है कि युवा भी बड़ी संख्या में इसकी चपेट में आ रहे हैं। वर्तमान समय में लगभग 12% आबादी मधुमेह से ग्रस्त है। इसी बढ़ती समस्या के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। यह दिवस सर फ्रेडरिक बैंटिंग के जन्मदिन पर मनाया जाता है, जिन्होंने 1921 में इंसुलिन की खोज में अहम भूमिका निभाई थी।

लेकिन सवाल यह है कि आखिर कुछ वर्षों में डायबिटीज के मरीज इतनी तेजी से क्यों बढ़े? विशेषज्ञों का मानना है कि अनियमित दिनचर्या, खराब खान-पान और अन्य स्वास्थ्य संबंधी आदतें इस वृद्धि की मुख्य वजह हैं। इसी बीच मरीजों के मन में अक्सर यह प्रश्न उठता है—क्या डायबिटीज पूरी तरह ठीक हो सकती है?
इस विषय पर जानकारी दे रहे हैं फोर्टिस अस्पताल के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. राकेश कुमार प्रसाद।
क्या डायबिटीज ठीक हो सकती है? डॉक्टर क्या कहते हैं
डॉ. प्रसाद के अनुसार, कुछ विशेष परिस्थितियों में टाइप-2 डायबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है। उन्होंने दो महत्वपूर्ण शर्तें बताई:
- बीमारी लंबे समय से न हो
यदि किसी व्यक्ति को टाइप-2 डायबिटीज को 1–2 साल ही हुए हैं, तो लाइफस्टाइल में सुधार कर इसे सामान्य किया जा सकता है। - महत्वपूर्ण वजन घटाव
यदि मरीज ने पिछले एक वर्ष में अपने कुल वजन का 10% या उससे अधिक वजन कम किया है, तो डायबिटीज को नियंत्रित करके उसे रिवर्स किया जा सकता है।
डायबिटीज क्यों होती है?
जब शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनाता, या इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता, तब डायबिटीज होती है। इंसुलिन वह हार्मोन है जो रक्त में मौजूद शुगर को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है। मधुमेह दो प्रकार का होता है:
1. टाइप-1 डायबिटीज
यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पैनक्रियाज़ की उन कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा देती है जो इंसुलिन बनाती हैं। इसके पीछे जेनेटिक्स या वायरल संक्रमण भी कारण हो सकते हैं।
2. टाइप-2 डायबिटीज
यह सबसे अधिक पाया जाने वाला प्रकार है। इसमें शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है और धीरे-धीरे इंसुलिन का उत्पादन भी कम होने लगता है। गलत लाइफस्टाइल इसका प्रमुख कारण है।
डायबिटीज के प्रमुख लक्षण
- बार-बार पेशाब आना, खासकर रात में
- अत्यधिक प्यास लगना
- ज्यादा भूख लगना
- अचानक वजन कम होना
- थकान या कमजोरी
- धुंधला दिखाई देना
- घावों का देर से भरना
- बार-बार इंफेक्शन होना
- हाथ-पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। सुलहकुल किसी भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।


