अमेरिकियों पर महंगाई का बोझ, ट्रंप का नया दांव—2000 डॉलर ‘टैरिफ डिविडेंड’

अमेरिका में बढ़ती महंगाई ने अब व्हाइट हाउस को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है। डोनाल्ड ट्रंप द्वारा “अमेरिका फर्स्ट” के नाम पर लगाए गए भारी आयात शुल्क अब उन्हीं की नीतियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं। विदेशी सामान को महंगा बनाकर स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने की कोशिश में ट्रंप सरकार ने अनजाने में घरेलू बाजार में महंगाई की लपटें तेज कर दीं। रोजमर्रा के सामान की कीमतें आसमान छूने लगीं और अब हालात ऐसे हैं कि व्हाइट हाउस खुद इन टैरिफ को हटाने की सोचने पर मजबूर है।
कैसे बढ़ी जनता की मुश्किल
ट्रंप ने सत्ता में आते ही उन देशों से आने वाले उत्पादों पर ऊंचे टैरिफ लगा दिए थे, जिनसे अमेरिका सालों से बड़ी मात्रा में आयात करता रहा है। भारत, अर्जेंटीना, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला और एल साल्वाडोर जैसे देशों से आने वाले खाद्य पदार्थ अचानक महंगे हो गए।
विदेशी कंपनियों पर दबाव डालने और अमेरिकी खजाना मजबूत करने की मंशा से उठाए गए ये कदम जनता पर उलटे पड़ गए। कॉफी, केला, बीफ और कई जरूरी चीजों की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं, जिससे अमेरिकी परिवारों का बजट बिगड़ता चला गया। महंगाई की यही मार अब सरकार के लिए सिरदर्द बन गई है।
टैरिफ हटाने की तैयारी
एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन अब कई देशों से आने वाले खाद्य पदार्थों पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्क वापस लेने की दिशा में काम कर रहा है। बताया जा रहा है कि कुछ हफ्तों में अर्जेंटीना, ग्वाटेमाला, इक्वाडोर और एल साल्वाडोर के लिए राहत संबंधी फैसला लिया जा सकता है।
फ्रेमवर्क एग्रीमेंट के तहत कॉफी, केला, बीफ जैसी चीजों को सस्ता करने का रास्ता साफ किया जा रहा है। इसके चलते अमेरिकी कंपनियों को भी इन देशों के बाजारों में वापस पैर जमाने का मौका मिल सकता है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में ऐसे फैसले हो सकते हैं, जिनसे खाद्य वस्तुओं के दाम कम होने लगेंगे।
ट्रंप का नया दांव
हालात चिंताजनक होने पर ट्रंप ने हाल ही में एक और घोषणा की है—हर अमेरिकी को कम से कम 2000 डॉलर का “टैरिफ डिविडेंड” देने का वादा। जानकारों का मानना है कि बढ़ती नाराजगी पर काबू पाने और जनता को राहत का एहसास दिलाने के लिए यह कदम उठाया गया है।


