रियल एस्टेट उद्योग में हलचल मचाते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मनोज गौड़ को गिरफ्तार कर लिया है। एजेंसी का आरोप है कि गौड़ और उनकी कंपनी ने हजारों घर खरीदारों से लिए गए करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया और पैसों को दूसरी जगह खर्च कर मनी लॉन्ड्रिंग की। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई है।

क्या हैं आरोप?
सूत्रों के मुताबिक, जांच में यह सामने आया कि कंपनी ने होमबायर्स से पैसे तो ले लिए, लेकिन प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं किए। इसके बजाय खरीदारों की रकम को दूसरे प्रोजेक्ट्स में घुमाया गया या निजी उपयोग में लाया गया। यही कारण है कि हजारों खरीदार अब भी अपने घरों का इंतजार कर रहे हैं।
ED की बड़ी छापेमारी
इस गिरफ्तारी से पहले, मई 2024 में ईडी ने दिल्ली, मुंबई, नोएडा और गाजियाबाद में जेपी इन्फ्राटेक, जयप्रकाश एसोसिएट्स और उनसे जुड़ी कंपनियों के 15 ठिकानों पर छापे मारे थे। इन छापों में लगभग 1.7 करोड़ रुपये नकद, महत्वपूर्ण वित्तीय कागजात, डिजिटल डेटा और कई प्रॉपर्टी से जुड़े दस्तावेज बरामद किए गए थे।
प्रोजेक्ट अधूरे, खरीदार परेशान
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने कुल 32,691 यूनिट्स का निर्माण करने का वादा किया था। लेकिन दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू होने से पहले सिर्फ 4,889 यूनिट्स ही बन पाईं। अगस्त 2017 में IDBI बैंक की अगुवाई वाले समूह द्वारा दायर याचिका के बाद NCLT ने जेपी इन्फ्राटेक को दिवालिया प्रक्रिया में भेज दिया था।
दिवालियापन प्रक्रिया शुरू होने के बाद करीब 7,278 यूनिट्स जरूर पूरी की गईं, लेकिन मार्च 2019 तक भी 20,524 फ्लैट्स अधूरे थे। आज भी लगभग 20,097 घरों का निर्माण रुका हुआ है, जिनमें सबसे ज्यादा यूनिट्स जेपी विशटाउन प्रोजेक्ट की हैं।
पुनर्गठन पर भी सवाल
मार्च 2023 में NCLT ने मुंबई की सुरक्षा ग्रुप के रेज़ॉल्यूशन प्लान को मंजूरी दी थी ताकि कंपनी का पुनर्गठन किया जा सके। लेकिन ED की ताजा कार्रवाई के बाद पूरा मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। फिलहाल मनोज गौड़ या उनके प्रतिनिधियों की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।


