देश का लावारिस खज़ाना: 80,000 करोड़ रुपये जिनके मालिक अब कोई नहीं जानते

देश की अर्थव्यवस्था में एक ऐसा “खामोश खज़ाना” पड़ा है, जो किसी के सपनों की कमाई थी — मगर आज बिना दावेदार के भटक रहा है। बैंकों, बीमा कंपनियों और म्यूचुअल फंड संस्थानों में करोड़ों नहीं, बल्कि करीब 80,000 करोड़ रुपये ऐसे पड़े हैं, जिन पर अब कोई हाथ उठाने वाला नहीं है। सेबी से मान्यता प्राप्त इन्वेस्टमेंट एडवाइज़र और ‘सहज मनी’ के संस्थापक अभिषेक कुमार के अनुसार, यह रकम उन्हीं लोगों की है जिन्होंने वर्षों पहले अपनी कमाई को बचत या निवेश के रूप में सुरक्षित किया था। दुर्भाग्य से, उनके परिवारों को आज यह तक पता नहीं कि ऐसा कोई खाता या निवेश मौजूद भी है।
पैसा गायब नहीं — जानकारी गायब है
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या आर्थिक नहीं, बल्कि जानकारी और संवाद की कमी से जुड़ी है। बहुत से मामलों में परिवार को यह तक नहीं बताया जाता कि किसी सदस्य ने किन बैंकों में खाता खोला या किस म्यूचुअल फंड में निवेश किया। जब वह व्यक्ति नहीं रहता, तो उसके नाम की जमा पूंजी धीरे-धीरे “बिना दावे” वाली रकम में तब्दील हो जाती है।
एक छोटी सी लापरवाही, सालों की परेशानी
अभिषेक कुमार बताते हैं, “कई बार लोग नॉमिनी जोड़ना भूल जाते हैं या जरूरी कागजात अधूरे छोड़ देते हैं। ऐसे में परिवार को अपनी ही संपत्ति पाने के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक महिला को तब जाकर पता चला कि उनके पति के नाम से 15 लाख रुपये का म्यूचुअल फंड निवेश मौजूद है, जब उन्होंने वित्तीय रिकॉर्ड्स की जांच करवाई। वहीं, एक अन्य परिवार को केवल इसलिए दो साल तक इंतजार करना पड़ा क्योंकि बैंक खाते में नॉमिनी का नाम दर्ज नहीं था।
वसीयत से आगे की तैयारी भी ज़रूरी
अभिषेक का कहना है कि सिर्फ वसीयतनामा बना लेना पर्याप्त नहीं है। वसीयत तभी प्रभावी होती है जब उसे सही कानूनी प्रक्रिया के साथ पंजीकृत किया जाए।
उन्होंने सलाह दी — “वसीयत के साथ मेडिकल सर्टिफिकेट, हस्ताक्षर की वीडियो रिकॉर्डिंग और दस्तावेज़ का रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। इससे आगे चलकर परिवार को किसी विवाद या देरी का सामना नहीं करना पड़ता।”
सीख यही: पैसा कमाने से ज़्यादा ज़रूरी है उसे पहचान के साथ सुरक्षित रखना
देश में करोड़ों लोग मेहनत से बचत करते हैं, लेकिन अगर निवेश की जानकारी परिवार तक नहीं पहुँचती, तो वही बचत बेनाम होकर कहीं खो जाती है।
इसलिए वित्तीय सलाहकारों की राय है कि हर निवेश की पूरी जानकारी लिखित रूप में परिवार या नॉमिनी को देना, और समय-समय पर उसे अपडेट करना उतना ही ज़रूरी है जितना निवेश खुद।


