सुरों की मलिका सुलक्षणा पंडित नहीं रहीं — बॉलीवुड ने खो दी अपनी मधुर आवाज़

बॉलीवुड की जानी-मानी गायिका और अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित अब हमारे बीच नहीं रहीं। 71 वर्ष की उम्र में उन्होंने मुंबई के नानावटी अस्पताल में अंतिम सांस ली। लंबे समय से वह अस्वस्थ थीं और उपचार के दौरान ही उनका निधन हो गया। आज उनके पार्थिव शरीर को नम आंखों से अंतिम विदाई दी जा रही है। परिवार, मित्र और प्रशंसक उन्हें अंतिम बार देखने पहुंचे तो माहौल गमगीन हो उठा। अंतिम संस्कार से जुड़ी झलकियां सामने आई हैं, जिनमें सुलक्षणा जी की अर्थी फूलों से सजी दिखाई दे रही है। परिवार के सदस्य एक-दूसरे को संभालते हुए रोते नजर आए।
संगीत के घराने से आईं सुलक्षणा
1954 में मुंबई के एक प्रतिष्ठित संगीत परिवार में जन्मीं सुलक्षणना पंडित, महान शास्त्रीय गायक पंडित जसराज की भतीजी थीं। उनके परिवार में संगीत की गूंज हमेशा से रही, और बचपन से ही वे सुरों के संसार में खो जाया करती थीं। सिर्फ 9 साल की उम्र में उन्होंने गायकी की शुरुआत की और दिग्गज गायिका लता मंगेशकर के साथ गाने का सौभाग्य प्राप्त किया। 1975 में आई फिल्म “संकल्प” के गीत “तू ही सागर है, तू ही किनारा” के लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार मिला — जो उनके करियर का एक स्वर्णिम अध्याय बना।
सुरों और अभिनय की संगिनी
सुलक्षणना पंडित ने अपने करियर में 79 से अधिक फिल्मों में गाया और अपनी मीठी आवाज़ से लाखों दिलों को छुआ। 90 के दशक में आई “खामोशी: द म्यूजिकल” जैसी फिल्मों में भी उनकी आवाज़ ने गहराई का एहसास कराया।
गायकी के साथ-साथ उन्होंने अभिनय में भी अपनी प्रतिभा साबित की। करीब 30 से अधिक फिल्मों में काम किया और दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। “दो वक्त की रोटी” (1988) में निभाया गया उनका ‘गंगा’ का किरदार आज भी याद किया जाता है।
एक युग का अंत
सुलक्षणना पंडित का जीवन संगीत और संवेदना का संगम था। उनके जाने से भारतीय सिनेमा और संगीत जगत ने एक सच्ची कलाकार खो दी है।
फैंस और साथी कलाकारों ने सोशल मीडिया पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। हर कोई उनकी मधुर मुस्कान और मीठी आवाज़ को याद कर रहा है।
“सुरों की यह यात्रा भले ही थम गई हो, पर उनकी आवाज़ हमेशा अमर रहेगी।”


