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टीटीजेड में उद्योगों पर लगी रोक हटने की उम्मीद, सुप्रीम कोर्ट में 11 नवंबर को अहम सुनवाई

ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में नए उद्योगों की स्थापना और विस्तार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को एक साल पूरा हो चुका है। अब इस मुद्दे पर दोबारा हलचल तेज हो गई है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से उद्योगों को रेड, ऑरेंज, ग्रीन और व्हाइट श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया था, लेकिन वायु प्रदूषण स्कोर को लेकर असमंजस के बाद शीर्ष अदालत ने सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (CEC) से रिपोर्ट मांगी थी। इसी क्रम में गुरुवार को सीईसी सदस्य सी.पी. गोयल आगरा पहुंचे। मंडलायुक्त सभागार में आयोजित बैठक में आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद और भरतपुर के विभिन्न विभागों और उद्योग से जुड़े हितधारकों ने हिस्सा लिया। मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह के अनुसार, बैठक में उद्योग हित में कई सुझाव सामने आए हैं। हितधारकों ने सुझाव दिया कि रेड कैटेगरी को छोड़कर ऑरेंज, ग्रीन और व्हाइट श्रेणी के उद्योगों को अनुमति दी जानी चाहिए। वहीं जिन इकाइयों का वायु प्रदूषण स्कोर 20 से कम है, उन्हें भी स्थापना की अनुमति देने पर सहमति बनी है। बताया गया कि करीब 200 उद्योग ऐसे हैं जिनका प्रदूषण स्तर बेहद कम है, और इन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

आईएमसी प्रोजेक्ट पांच साल से अधर में

लखनऊ एक्सप्रेसवे के पास रहनकलां क्षेत्र में उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) ने 1058 एकड़ भूमि इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (IMC) के लिए चिन्हित की थी। यह क्षेत्र अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर का हिस्सा है, लेकिन टीटीजेड में लगी बंदिशों के कारण यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पिछले पांच वर्षों से ठप पड़ा है।मंडलायुक्त ने बताया कि आगरा के साथ-साथ मथुरा और फिरोजाबाद में भी औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं, मगर टीटीजेड की पाबंदियों के चलते निवेश और विकास दोनों प्रभावित हैं।

सुप्रीम कोर्ट में पेश होंगी सिफारिशें

सीईसी अब सभी हितधारकों के सुझावों को संकलित कर सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करेगी। 11 नवंबर को होने वाली सुनवाई में यदि अदालत इन प्रस्तावों को स्वीकार करती है, तो रेड कैटेगरी को छोड़कर बाकी करीब 200 तरह के लघु, मध्यम और सूक्ष्म उद्योगों के लिए टीटीजेड क्षेत्र में रास्ता खुल सकता है। फिलहाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और टीटीजेड प्राधिकरण किसी भी वर्ग के उद्योग को अनुमति नहीं दे रहे हैं, जिससे कई निवेश प्रस्ताव अटके हुए हैं।

उद्योग और निवेश पर रोक का असर

टीटीजेड क्षेत्र में लगी पाबंदियों के चलते उद्योगों को विद्युत भार बढ़ाने की अनुमति नहीं मिल रही, जिससे विस्तार और नए निवेश दोनों प्रभावित हैं। यहां तक कि मथुरा रिफाइनरी का विस्तार कार्य भी रुका हुआ है। आईएमसी समेत कई मेगा प्रोजेक्ट अधर में हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में आगरा के लिए लगभग तीन लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए थे, लेकिन भूमि विवाद, टीटीजेड की बंदिशें और एनओसी न मिलने के कारण कई निवेशक पीछे हट गए हैं।

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