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68 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी मामला: ईडी ने रिलायंस पावर समेत 11 पर दाखिल की चार्जशीट

रिलायंस पावर पर ईडी का शिकंजा, फर्जी बैंक गारंटी कांड में चार्जशीट

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कारोबारी अनिल अंबानी समूह से जुड़ी कंपनी रिलायंस पावर लिमिटेड समेत 11 आरोपियों के खिलाफ धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के एक बड़े मामले में आरोपपत्र दाखिल किया है। यह मामला लगभग 68.2 करोड़ रुपये की कथित फर्जी बैंक गारंटी इस्तेमाल कर सरकारी टेंडर हासिल करने से संबंधित है। जांच एजेंसी ने शुक्रवार को दिल्ली स्थित पटियाला हाउस कोर्ट में पीएमएलए के तहत चार्जशीट दाखिल की। इस मामले में रिलायंस पावर के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी अशोक कुमार पाल, इसकी दो अनुषंगी कंपनियां — रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड व रोसा पावर सप्लाई कंपनी लिमिटेड — तथा ओडिशा की शेल कंपनी बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड और उसके प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल को आरोपी बनाया गया है।

इसके अलावा बायोथेन केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड, ट्रेड फाइनेंसिंग सलाहकार अमरनाथ दत्ता, रविंदर पाल सिंह चड्ढा, मनोज पोंगडे और पुनीत नरेंद्र गर्ग के नाम भी आरोपियों की सूची में शामिल हैं। मामले की जड़ 68.2 करोड़ रुपये की उस बैंक गारंटी से जुड़ी है, जो सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के टेंडर में रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड की ओर से जमा कराई गई थी। यह कंपनी पहले महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी और रिलायंस पावर की सूचीबद्ध सहायक कंपनी है।

ईडी की जांच में सामने आया है कि टेंडर के समय प्रस्तुत बैंक गारंटी कथित तौर पर पूरी तरह फर्जी थी। जांच एजेंसी का दावा है कि एसबीआई के एक नकली ईमेल आईडी से सेकी को बैंक गारंटी की मंजूरी दिखाई गई थी, जबकि असल में ऐसा कोई आधिकारिक सत्यापन नहीं हुआ था। जब सेकी को इस जालसाजी का पता चला तो उसी दिन आईडीबीआई बैंक के जरिए असली बैंक गारंटी हासिल करने की कोशिश की गई, लेकिन नियत समयसीमा खत्म हो चुकी थी, इसलिए सेकी ने इसे खारिज कर दिया।

ईडी के मुताबिक रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड उस टेंडर में दूसरी सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी (एल-2) थी। टेंडर बचाने के लिए समूह के अधिकारियों ने कथित तौर पर कोलकाता की एक एसबीआई शाखा से फर्जी विदेशी बैंक गारंटी की वैधता का नया प्रमाण जुटाने की भी कोशिश की। उधर रिलायंस समूह पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि अनिल अंबानी पिछले साढ़े तीन वर्षों से रिलायंस पावर के बोर्ड का हिस्सा नहीं हैं और इस प्रकरण से उनका कोई लेना-देना नहीं है। कंपनी ने नवंबर 2024 में शेयर बाजार को दी गई सूचना में खुद को इस पूरे मामले में धोखाधड़ी और साजिश का पीड़ित बताया था।

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