भारत–कनाडा CEPA वार्ताएँ तेज़, 2030 तक व्यापार दोगुना करने का लक्ष्य

भारत और कनाडा ने यह संकेत दिया है कि वे व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) की वार्ताओं को तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं। दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने के लक्ष्य के साथ महत्वपूर्ण खनिजों, स्वच्छ ऊर्जा और अत्याधुनिक तकनीकों में नए अवसर तलाशना चाहते हैं। यह सहयोग परस्पर विश्वास, साझा लोकतांत्रिक आस्थाओं और विकास की समान प्राथमिकताओं पर आधारित माना जा रहा है, जिससे उद्योगों और निवेशकों के लिए बड़ी संभावनाएँ खुलेंगी।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित इंडो-कैनेडियन बिज़नेस चैंबर के वार्षिक सम्मेलन में बताया कि जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की बैठक में CEPA वार्ताएँ फिर से शुरू करने और व्यापार बढ़ाने पर सकारात्मक सहमति बनी है।
गोयल के अनुसार भारत, कनाडा के साथ महत्वपूर्ण खनिजों, खनन तकनीकों, स्वच्छ तथा परमाणु ऊर्जा और आपूर्ति-श्रृंखला विविधीकरण जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को आगे बढ़ाने में गहरी रुचि रखता है। उन्होंने कहा कि भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग और अगली पीढ़ी के डेटा केंद्रों जैसे क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बढ़त प्रदान करता है—जिसका आधार देश में हर वर्ष निकलने वाले बड़ी संख्या में STEM स्नातक हैं।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत और कनाडा की पूरक क्षमताएँ दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए दीर्घकालिक और विश्वसनीय अवसरों का निर्माण करती हैं। भारत का 500 गीगावाट का राष्ट्रीय पावर ग्रिड—जिसमें 250 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा शामिल है—AI आधारित बड़े बुनियादी ढाँचे को आवश्यक स्थिरता प्रदान करता है। 2030 तक भारत द्वारा स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य इसे वैश्विक ऊर्जा साझेदारियों में अनूठी स्थिति देता है।
पीयूष गोयल ने इस माह के प्रारंभ में कनाडा के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री के साथ हुई सातवीं मंत्रिस्तरीय बैठक का ज़िक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों ने व्यावसायिक सहयोग को और सुदृढ़ करने तथा व्यापार प्रतिनिधिमंडलों के आदान–प्रदान की संभावनाएँ तलाशने पर सहमति जताई है। उन्होंने भारत में कनाडाई पेंशन फंडों द्वारा बढ़ते निवेश और कनाडाई कंपनियों की तेज़ी से विस्तार करती मौजूदगी की सराहना की।
गोयल ने कहा कि भारत अब “नाज़ुक पाँच” की श्रेणी से आगे बढ़कर दुनिया की पाँच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो चुका है—और यह इसकी मजबूत आर्थिक बुनियाद और स्थायी विकास क्षमता का प्रमाण है।


