पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन को लेकर भूचाल आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के भीतर भी गहरा असंतोष दिखाई देने लगा है। इसी कड़ी में शीर्ष अदालत के दो वरिष्ठ जज—मंसूर अली शाह और अतहर मिनल्लाह—ने अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया है। दोनों जजों ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि आर्मी चीफ आसिम मुनीर को कानूनी कार्रवाई से प्रतिरक्षा देना और उन्हें तीनों सेनाओं का सर्वोच्च रक्षा प्रमुख बनाना संविधान की मूल भावना से खिलवाड़ है। उन्होंने 27वें संशोधन को सीधे-सीधे लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रहार बताया।

क्या बदलता है 27वें संशोधन से?
इस संशोधन के बाद जनरल मुनीर अब तीनों सेनाओं के संयुक्त डिफेंस चीफ बन गए हैं। उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की आपराधिक या कानूनी कार्रवाई की अनुमति नहीं होगी।
इसके अलावा—
- सुप्रीम कोर्ट की कई अहम शक्तियाँ राष्ट्रपति के अधीन कर दी गई हैं।
- एक नया Federal Constitutional Court (FCC) बनाया जाएगा, जिसे सुप्रीम कोर्ट की कई अधिकारिक शक्तियाँ सौंप दी जाएंगी।
- चुनाव संबंधी याचिकाएँ अब सुप्रीम कोर्ट नहीं, बल्कि FCC सुनवाई करेगा।
- हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में भी बदलाव लागू होंगे।
इन बदलावों को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार और सैन्य नेतृत्व पर लोकतंत्र को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया है।
सुप्रीम कोर्ट में और इस्तीफों की आशंका
सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में शीर्ष अदालत के दो-तीन और जज इस्तीफे दे सकते हैं। न्यायपालिका के एक वर्ग का मानना है कि इस संशोधन ने सेना प्रमुख को असीमित अधिकार देकर अन्य संवैधानिक संस्थानों की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया है।
वर्तमान में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में कुल 16 जज कार्यरत हैं, जिनमें से कई इस बदलाव से नाखुश बताए जा रहे हैं।


