सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को लेकर दायर राजनीतिक दलों की याचिकाओं पर निर्वाचन आयोग (ECI) से जवाब मांगा है। अदालत ने आयोग को निर्देश दिया है कि वह दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करे। ये याचिकाएँ द्रमुक, माकपा, पश्चिम बंगाल कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस की ओर से दायर की गई हैं, जिनमें आरोप लगाया गया है कि मतदाता सूची संशोधन की यह कवायद भेदभावपूर्ण और गैरकानूनी है।

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत पहले से ही बिहार में एसआईआर प्रक्रिया की वैधता पर सुनवाई कर रही है। बिहार में आयोग ने इसी तरह के पुनरीक्षण अभियान को “सटीक और पारदर्शी” बताते हुए यह दावा किया था कि इसमें किसी भी मतदाता ने नाम हटाने के खिलाफ अपील नहीं की है।
निर्वाचन आयोग ने 30 सितंबर को बिहार की अंतिम मतदाता सूची जारी की थी, जिसमें मतदाताओं की कुल संख्या करीब 47 लाख घटकर 7.42 करोड़ रह गई थी। पहले यह संख्या 7.89 करोड़ थी। आयोग के मुताबिक, मृत्यु, प्रवास और दोहराव जैसे कारणों से लगभग 65 लाख नाम हटाए गए, जबकि 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए।
हालांकि, कई याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि इस प्रक्रिया के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर मुसलमान मतदाताओं के नामों को अनुपातहीन रूप से हटाया गया, जिसे आयोग ने पूरी तरह से झूठा और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया। बिहार में पहले चरण का मतदान पहले ही संपन्न हो चुका है, जबकि दूसरे चरण में 122 सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा और मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी।


