निठारी केस में राहत: सुप्रीम कोर्ट ने कहा — “कोली को सभी आरोपों से बरी किया जाता है”

नई दिल्ली, 11 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चर्चित निठारी सीरियल किलिंग केस में दोषी ठहराए गए सुरेंद्र कोली को राहत देते हुए उसकी दोषसिद्धि रद्द कर दी और कहा कि अगर वह किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है, तो उसे तुरंत जेल से रिहा किया जाए। यह फैसला उस सुधारात्मक याचिका पर आया है जो कोली ने अपनी सजा के खिलाफ दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों वाली पीठ — जिसमें मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ शामिल थे — ने कहा कि प्रस्तुत सबूतों के आधार पर दोषसिद्धि को कायम रखना उचित नहीं है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने फैसला सुनाते हुए कहा, “याचिकाकर्ता को सभी आरोपों से बरी किया जाता है। यदि वह किसी अन्य मामले में आवश्यक नहीं है, तो उसकी तत्काल रिहाई सुनिश्चित की जाए।”
मामला कैसे पहुंचा यहां तक?
साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने कोली को एक 15 वर्षीय लड़की की हत्या और बलात्कार के मामले में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा बरकरार रखी थी। लेकिन इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसके खिलाफ दर्ज 12 अन्य मामलों में सबूतों की कमी के कारण उसे बरी कर दिया था।
इन्हीं विरोधाभासों को आधार बनाते हुए कोली ने इस वर्ष फिर से सुधारात्मक याचिका (curative petition) दाखिल की, जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने यह ऐतिहासिक फैसला दिया है। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी टिप्पणी की थी कि दोषसिद्धि मुख्य रूप से एक बयान और एक चाकू की बरामदगी पर आधारित थी, जबकि अन्य मामलों में समान परिस्थितियों में उसे बरी किया गया था। अदालत ने इसे “असामान्य स्थिति” बताया था।
क्या था निठारी कांड?
निठारी हत्याकांड 2005–2006 के बीच नोएडा के निठारी गांव में हुआ, जिसने पूरे देश को हिला दिया था। दिसंबर 2006 में जब एक नाले से कई बच्चों और महिलाओं के कंकाल बरामद हुए, तब इस घटना का खुलासा हुआ।
यह घर व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर का था और सुरेंद्र कोली वहां घरेलू सहायक के रूप में काम करता था। जांच एजेंसियों ने दोनों पर अपहरण, हत्या और यौन शोषण के कई आरोप लगाए थे। इस मामले ने देश में बाल सुरक्षा, पुलिस जांच की विश्वसनीयता और न्यायिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए थे।


