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साईं बाबा शताब्दी समारोह में बोलीं राष्ट्रपति मुर्मू: “मानव सेवा ही ईश्वर सेवा”

प्रशांति निलयम में राष्ट्रपति मुर्मू ने किया संबोधन, साईं बाबा की विरासत को दी श्रद्धांजलि

श्री सत्य साईं बाबा के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर पुट्टपर्थी स्थित प्रशांति निलयम में आयोजित विशेष कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को हिस्सा लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के महापुरुषों, संतों और ऋषियों की आध्यात्मिक विरासत सदियों से समाज को सही दिशा दिखाती आई है। इसी धारा में, उन्होंने श्री सत्य साईं बाबा को उन महान व्यक्तित्वों में खास स्थान देते हुए यह कहा कि बाबा ने जीवनभर मानवता की सेवा को ही सर्वोच्च साधना माना।

राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में बाबा के संदेश— “मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है”— का उल्लेख करते हुए बताया कि साईं बाबा ने आध्यात्मिकता को केवल उपदेश नहीं, बल्कि सेवा और आत्म–शुद्धि से जोड़कर प्रस्तुत किया, जिसने लाखों लोगों को जनहित के कार्यों में जुटने की प्रेरणा दी।

उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में श्री सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट की उपलब्धियों की प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने कहा कि ट्रस्ट निःशुल्क, उच्चस्तरीय शिक्षा के माध्यम से चरित्र निर्माण को बढ़ावा दे रहा है तथा जरूरतमंदों को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएँ भी निःशुल्क प्रदान कर रहा है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि बाबा की दूरदृष्टि के कारण इस क्षेत्र के सूखा–ग्रस्त हजारों गांवों को पेयजल उपलब्ध कराया जा सका, जिससे ग्रामीण विकास की गति तेज हुई।

अपने वक्तव्य में राष्ट्रपति मुर्मू ने Baba के सार्वभौमिक सिद्धांतों— “सबसे प्रेम करो, सबकी सेवा करो” और “सदैव सहायता करो, किसी को आहत न करो”— को विशेष रूप से उल्लेखित किया। उन्होंने कहा कि साईं बाबा का मानना था कि पूरा विश्व एक विद्यालय की तरह है और सत्य, धर्म, शांति, प्रेम और अहिंसा— ये पाँच मानव मूल्य ऐसे पाठ हैं जो हर संस्कृति और हर पीढ़ी का मार्गदर्शन कर सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि भारत के विकास में आध्यात्मिक और धर्मार्थ संगठनों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार भी नागरिकों के जीवन को सुगम बनाने तथा उनकी प्रतिभा का राष्ट्र निर्माण में उपयोग सुनिश्चित करने के लिए अनेक प्रयास कर रही है। उनके अनुसार, इन सभी संगठनों और नागरिकों का संयुक्त योगदान वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में निर्णायक होगा। शताब्दी समारोह में देशभर से आए श्रद्धालुओं, संतों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भाग लेकर साईं बाबा के जीवन, शिक्षाओं और मानव–सेवा के मिशन को गरिमामय श्रद्धांजलि दी।

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