
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने भारत के प्रति गहरी कृतज्ञता जताते हुए कहा है कि यदि अगस्त 2024 में उनकी माँ देश से बाहर नहीं आतीं, तो उग्रवादी उन्हें मार डालते। ANI को दिए इंटरव्यू में जॉय ने कहा, “भारत ने मेरी मां की जिंदगी बचाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल से धन्यवाद कि उन्होंने उन्हें शरण दी।”
प्रत्यर्पण की मांग को जॉय ने बताया ‘गैर-कानूनी’
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा हसीना के प्रत्यर्पण की मांग पर जॉय ने दो टूक कहा कि वहां किसी भी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ।
उन्होंने आरोप लगाया कि—
- मुकदमा शुरू होने से पहले 17 जजों को हटाया गया,
- संसद की मंजूरी के बिना क़ानून बदले गए,
- और हसीना के वकीलों को अदालत में प्रवेश तक नहीं दिया गया।
जॉय का कहना है कि ऐसी स्थिति में कोई भी देश प्रत्यर्पण को स्वीकार नहीं करेगा, और उन्हें भरोसा है कि भारत भी ऐसा नहीं करेगा।
छात्र आंदोलन या राजनीतिक साजिश?
जॉय ने माना कि शुरुआती छात्र विरोध को उनकी सरकार ठीक ढंग से संभाल नहीं सकी।
लेकिन उन्होंने दावा किया कि बाद का उभार असल में जनता का स्वतःस्फूर्त आंदोलन नहीं, बल्कि एक सुनियोजित राजनीतिक तख्तापलट था।
उनका आरोप है कि— पाकिस्तान की ISI ने प्रदर्शनकारियों में घुसे उग्रवादियों को हथियार दिए, और इसके वीडियो सबूत भी मौजूद हैं।
लश्कर-ए-तैयबा के सक्रिय होने का आरोप
जॉय ने चेतावनी दी कि अंतरिम सरकार ने हसीना सरकार के समय सजा पाए हजारों उग्रवादियों को रिहा कर दिया है, जिसके कारण अब लश्कर-ए-तैयबा बांग्लादेश में खुलेआम सक्रिय है। उन्होंने दिल्ली में हुए हालिया आतंकी हमलों को भी बांग्लादेश से जुड़े लश्कर नेटवर्क से जोड़ा।
अमेरिकी भूमिका पर बड़ा दावा
जॉय ने यह भी दावा किया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कथित तौर पर कहा है कि बाइडेन प्रशासन ने USAID के माध्यम से बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के लिए लाखों डॉलर खर्च किए।
“यूनुस सरकार अवैध, देश में लोकतंत्र बंधक”
मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार पर निशाना साधते हुए जॉय ने कहा—
- देश में एक साल से अधिक समय से बिना चुनी हुई सरकार बैठी है,
- दस हजार से ज्यादा राजनीतिक कैदी अभी जेल में हैं,
- 100 से अधिक पूर्व सांसद भी गिरफ्त में हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि यदि यूनुस इतने लोकप्रिय हैं, “तो फिर चुनाव क्यों नहीं करवाए जा रहे?”
जॉय ने यह भी कहा कि उनकी मां के शासनकाल में बांग्लादेश सबसे कम विकसित देशों की श्रेणी से निकलकर ‘एशियाई टाइगर’ बनने की राह पर था। उनके अनुसार इतनी तेज आर्थिक प्रगति व्यापक भ्रष्टाचार के रहते संभव नहीं हो सकती थी।


