नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सोमवार को “जैविक हथियार सम्मेलन (BWC) के 50 वर्ष: वैश्विक दक्षिण के लिए जैव सुरक्षा को सुदृढ़ करना” विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने बीडब्ल्यूसी के पूर्ण और प्रभावी क्रियान्वयन के प्रति भारत की मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई और जैव सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में देश की नेतृत्वकारी भूमिका को रेखांकित किया।

80 से अधिक देशों के विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि बदलते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में बीडब्ल्यूसी को समय के अनुरूप ढालना बेहद जरूरी है। उन्होंने सम्मेलन के आधुनिकीकरण पर जोर देते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में इसकी दिशा और दशा तय करने में वैश्विक दक्षिण की भूमिका निर्णायक होगी।
जयशंकर ने संवेदनशील और दोहरे उपयोग वाली तकनीकों के अप्रसार में भारत के मजबूत रिकॉर्ड का उल्लेख किया। इसके साथ ही कोरोना महामारी के दौरान भारत द्वारा चलाई गई ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल को वैश्विक सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने जैव सुरक्षा के लिए प्रस्तावित राष्ट्रीय कार्यान्वयन ढांचे का भी जिक्र किया, जिसमें उच्च जोखिम वाले जैविक एजेंटों की पहचान, दोहरे उपयोग वाले अनुसंधान की निगरानी, घरेलू रिपोर्टिंग प्रणाली, आपात घटना प्रबंधन और निरंतर प्रशिक्षण जैसे अहम प्रावधान शामिल हैं।
एक्स पर साझा किए गए अपने संदेश में विदेश मंत्री ने कहा कि मौजूदा अनिश्चित अंतरराष्ट्रीय माहौल में जैविक हथियार सम्मेलन जैव-विज्ञान में नवाचार और उसके संभावित दुरुपयोग के बीच एक मजबूत सुरक्षा कवच बना रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीडब्ल्यूसी के पास अब भी कई बुनियादी संस्थागत ढांचे नहीं हैं — जैसे किसी प्रभावी अनुपालन व्यवस्था का अभाव, स्थायी तकनीकी निकाय की कमी और वैज्ञानिक प्रगति पर नजर रखने के लिए ट्रैकिंग सिस्टम का न होना।
जयशंकर ने इस स्थिति में सम्मेलन के आधुनिकीकरण, सख्त अनुपालन उपायों को विकसित करने और वैश्विक क्षमता निर्माण पर सामूहिक प्रयासों की जरूरत बताई।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि जैविक खतरे सीमाओं में बंधे नहीं रहते और तेजी से वैश्विक स्तर पर फैलते हैं, इसलिए इनके मुकाबले के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग अनिवार्य है। उनका कहना था कि वैश्विक दक्षिण को बीडब्ल्यूसी के अगले 50 वर्षों के एजेंडे को निर्धारित करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए, क्योंकि मजबूत जैव सुरक्षा का सबसे बड़ा लाभ भी इसी क्षेत्र को मिलेगा।
उधर, विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि निरस्त्रीकरण और अप्रसार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप, बीडब्ल्यूसी की 50वीं वर्षगांठ पर यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया है। एमईए प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि 1 और 2 दिसंबर को नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में वैश्विक दक्षिण के 80 से अधिक देशों के विशेषज्ञों के साथ-साथ कई क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।


