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वसूली के आंकड़ों पर भिड़े विजय माल्या, सरकार–बैंकों से उठाए सवाल

रकम वसूली में भ्रम: माल्या ने मांगी सेवानिवृत्त जज से जांच

भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर उनसे वसूली गई रकम को लेकर विरोधाभासी जानकारी देने का आरोप लगाया है। माल्या ने कहा है कि संसद और आम जनता के सामने वसूली संबंधी अलग–अलग आंकड़े पेश किए जा रहे हैं, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। इस मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए उन्होंने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।

सोशल मीडिया पर जारी अपने बयान में माल्या ने सवाल उठाया कि आखिर सरकार और बैंक कब तक जनता को गुमराह करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री संसद में दावा करती हैं कि उनसे लगभग 14,100 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है, जबकि बैंक केवल 10,000 करोड़ रुपये की वसूली की बात कह रहे हैं। ऐसे में लगभग 4,000 करोड़ रुपये का अंतर कैसे पैदा हुआ, यह स्पष्ट नहीं किया जा रहा है।

माल्या ने आगे कहा कि एक ओर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री संसद में यह जानकारी देते हैं कि अभी भी 10,000 करोड़ रुपये बकाया हैं, वहीं बैंक दावा करते हैं कि बकाया राशि 7,000 करोड़ रुपये है। उन्होंने आरोप लगाया कि अब तक वसूल की गई रकम का कोई पारदर्शी लेखा–जोखा जनता के सामने नहीं रखा गया है।

माल्या का कहना है कि जब उनका वास्तविक कर्ज लगभग 6,203 करोड़ रुपये है, तो फिर वसूली और बकाया से जुड़े ये आंकड़े आपस में मेल क्यों नहीं खाते। उन्होंने पूरे घटनाक्रम को अपने लिए “अन्यायपूर्ण स्थिति” करार दिया और निष्पक्ष जांच की जरूरत बताई।

इस बीच, केंद्र सरकार ने लोकसभा को बताया कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत अब तक कुल 15 लोगों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जा चुका है। यह जानकारी केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र में दी। दौसा से कांग्रेस सांसद मुरारी लाल मीणा के एक अतारांकित प्रश्न के जवाब में सरकार ने यह विवरण साझा किया।

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