सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ‘उम्मीद’ पोर्टल पर ‘वक्फ बाय यूजर’ समेत सभी वक्फ संपत्तियों के अनिवार्य पंजीकरण की समय-सीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे तय समय में संबंधित वक्फ न्यायाधिकरण का रुख करें।

पीठ ने कहा कि वक्फ अधिनियम की धारा 3बी के तहत न्यायाधिकरण में समाधान का विकल्प पहले से मौजूद है, इसलिए अदालत इस मामले में कोई अतिरिक्त राहत नहीं दे सकती। अदालत ने सभी याचिकाओं का निपटारा करते हुए स्पष्ट किया कि इच्छुक पक्ष छह महीने की अंतिम समय-सीमा के भीतर न्यायाधिकरण से संपर्क कर सकते हैं।
इस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत कई संगठनों और व्यक्तियों ने समय सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि अनिवार्य पंजीकरण की दी गई छह महीने की अवधि अब समाप्त होने वाली है, जिससे प्रक्रिया पूरी करना मुश्किल हो रहा है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 के कुछ अहम प्रावधानों पर रोक लगाई थी। इनमें वह नियम भी शामिल था, जिसके अनुसार केवल वही व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकता है, जो पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हो।
इसी दौरान अदालत ने ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान को हटाए जाने को लेकर केंद्र के फैसले को भी प्रथम दृष्टया मनमाना नहीं माना था। इस प्रावधान के तहत लंबे समय तक धार्मिक या सामाजिक कार्यों में उपयोग की जा रही संपत्तियों को औपचारिक घोषणा के बिना भी वक्फ माना जाता था।
केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने के उद्देश्य से सभी संपत्तियों की जियो-टैगिंग कराने और उनका डाटा एकीकृत करने के लिए 6 जून को ‘उम्मीद’ (यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) पोर्टल लॉन्च किया था।


