23.5 C
Agra
Homeदेश‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष: पीएम मोदी ने किया वर्षभर चलने वाले...

‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष: पीएम मोदी ने किया वर्षभर चलने वाले उत्सव का शुभारंभ

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्षभर चलने वाले राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव की शुरुआत की। राजधानी के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित इस विशेष समारोह में प्रधानमंत्री ने स्मारक डाक टिकट और विशेष सिक्का जारी किया। यह उत्सव 7 नवंबर 2025 से 7 नवंबर 2026 तक मनाया जाएगा, जिसमें भारत के स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित करने वाले इस अमर गीत की गौरवशाली यात्रा का उत्सव मनाया जाएगा।

“वंदे मातरम एक मंत्र है, एक संकल्प है” — पीएम मोदी

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “वंदे मातरम, ये शब्द केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक मंत्र है — एक ऊर्जा, एक स्वप्न और एक संकल्प है। ये शब्द हमें इतिहास की गहराइयों से जोड़ते हैं, वर्तमान को आत्मविश्वास से भरते हैं और भविष्य के लिए प्रेरणा देते हैं।” उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम’ का सामूहिक गायन एक अवर्णनीय अनुभव होता है, जिसमें लाखों स्वरों की एक लय और एक भाव पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांध देता है।

महापुरुषों को नमन, मातृभूमि को प्रणाम

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उन महान स्वतंत्रता सेनानियों और देशभक्तों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने “वंदे मातरम” के उद्घोष के साथ अपने प्राण न्योछावर किए।
उन्होंने कहा, “गुलामी के उस अंधकारमय दौर में ‘वंदे मातरम’ आज़ादी का प्रतीक बन गया था। इसने देशवासियों के भीतर आत्मविश्वास और स्वतंत्रता की लौ जगाई।”

‘वंदे मातरम’ की अमरता और प्रासंगिकता

मोदी ने कहा कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की ‘आनंदमठ’ और उसमें शामिल ‘वंदे मातरम’ केवल साहित्यिक रचना नहीं, बल्कि स्वाधीन भारत का स्वप्न था।
उन्होंने गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर का उल्लेख करते हुए कहा कि यह गीत हर युग में प्रासंगिक रहा है — “इसके शब्द कभी भी गुलामी के साए में कैद नहीं रहे। इसीलिए ‘वंदे मातरम’ ने अमरता प्राप्त की है।”

‘वंदे मातरम’ से आज़ादी के स्वर तक

प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्ष 1875 में जब बंकिम बाबू ने इसे पहली बार ‘बंग दर्शन’ पत्रिका में प्रकाशित किया, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह गीत भारत के स्वतंत्रता संग्राम की पहचान बन जाएगा। “यह गीत हर क्रांतिकारी के होंठों पर था, हर भारतीय के दिल की आवाज़ था। इसने आज़ादी के आंदोलन को दिशा और शक्ति दी।”

“भारत ने दृढ़ता से पाई अमरता”

अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने शक्ति और नैतिकता के बीच संतुलन बनाकर हर कठिनाई पर विजय पाई है।
उन्होंने ‘वंदे मातरम’ की आरंभिक पंक्ति उद्धृत करते हुए कहा — “सुजलं सुफलं मलयजशीतलं शस्यश्यामलां मातरम् — यह केवल कविता नहीं, यह हमारी धरती मां का गुणगान है।”

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments