जमीन और संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों के लिए अब पंजीकरण के तीन महीने के भीतर ही भौतिक सत्यापन किया जाएगा। पहले यह अवधि चार साल तक थी। स्टांप एवं पंजीयन विभाग द्वारा नियमों में किए गए इस बड़े बदलाव से लोगों को लंबे समय से हो रहे उत्पीड़न से राहत मिलेगी। महानिरीक्षक निबंधन नेहा शर्मा ने इसके लिए सभी उपनिबंधकों को निर्देश भेज दिए हैं।

पुराने सिस्टम में चार वर्षों तक किसी भी समय निरीक्षण होने की वजह से, कई बार जमीन की स्थिति बदल जाने पर स्टांप चोरी के मुकदमे दर्ज कर दिए जाते थे। इस प्रक्रिया का फायदा उठाकर कई लोगों से अनावश्यक वसूली की शिकायतें भी सामने आती रहती थीं। स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने कहा कि नए नियम पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे और जांच की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
उदाहरण के तौर पर, यदि रजिस्ट्री के समय जमीन खाली हो और कई वर्षों बाद निरीक्षण के दौरान वहां निर्माण मिल जाए, तो अधिकारियों द्वारा इसे स्टांप चोरी माना जाता था। आम लोगों की इस परेशानी को दूर करने के लिए सत्यापन की समय सीमा कम कर दी गई है।
अधिकारियों को महीने-दर-महीने निरीक्षण का लक्ष्य
सरकार ने रजिस्ट्री के रैंडम चेक के लिए स्पष्ट लक्ष्य तय किए हैं।
- जिलाधिकारी: 5 निरीक्षण
- अपर जिलाधिकारी: 25 निरीक्षण
- सहायक महानिरीक्षक निबंधन: 50 निरीक्षण प्रति माह
उपनिबंधकों को भी अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है।
- सदर के उपनिबंधक: 20 निरीक्षण
- तहसील के उपनिबंधक: 10 निरीक्षण
साथ ही यह निर्देश दिया गया है कि निरीक्षण खुद उपनिबंधक ही करेंगे, अधीनस्थ किसी भी स्थिति में सत्यापन नहीं करेंगे।
मुकदमों में आएगी कमी
मंत्री रवीन्द्र जायसवाल का कहना है कि चार वर्ष की लंबी अवधि के कारण संपत्तियों की स्थिति बदल जाती थी, जिससे अनावश्यक मुकदमे बढ़ते थे और आम लोग परेशान होते थे। अब तीन महीने के भीतर ही निरीक्षण होने से लोगों पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा और अदालतों में मामलों की संख्या घटेगी।


