राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने देश की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड (एमएसआईएल) और सुजुकी मोटर गुजरात प्राइवेट लिमिटेड (एसएमजी) के बीच प्रस्तावित विलय को मंजूरी दे दी है।

एनसीएलटी की दिल्ली स्थित दो सदस्यीय पीठ — अध्यक्ष रामलिंगम सुधाकर और सदस्य रवींद्र चतुर्वेदी — ने दोनों कंपनियों की संयुक्त याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि यह विलय योजना सभी हितधारकों, जिनमें शेयरधारक, लेनदार और कर्मचारी शामिल हैं, के हित में है।
न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि इस योजना के लिए कोई वैधानिक या नियामक बाधा नहीं है। योजना की प्रभावी तिथि 1 अप्रैल, 2025 तय की गई है।
पीठ ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि आयकर विभाग और आधिकारिक परिसमापक, अहमदाबाद ने इस योजना पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं की है। इसके अलावा, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), बीएसई और एनएसई जैसे अन्य नियामक संस्थानों की ओर से भी कोई आपत्ति प्राप्त नहीं हुई है।
न्यायाधिकरण ने कहा, “उपलब्ध तथ्यों, सभी संबंधित प्राधिकरणों के विचारों और याचिकाकर्ता कंपनियों के सदस्यों एवं लेनदारों की स्वीकृति को ध्यान में रखते हुए, प्रस्तावित विलय योजना को स्वीकृति देने में कोई अवरोध नहीं है।” इसके साथ ही एनसीएलटी ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 230 से 232 के तहत इस विलय योजना को औपचारिक मंजूरी दे दी।


