दंतेवाड़ा और बीजापुर की सीमा से सटे भैरमगढ़ ब्लॉक के केशकुतुल जंगल में सोमवार सुबह सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हो गई। इस एनकाउंटर में जवानों ने अब तक पांच माओवादियों को मार गिराया है। कार्रवाई के दौरान डीआरजी के दो जवान शहीद हो गए, जबकि एक अन्य जवान घायल हुआ है। घायल जवान को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मुठभेड़ की सूचना मिलते ही इलाके में अतिरिक्त बल तैनात कर दिया गया है। जंगल क्षेत्र में बड़े स्तर पर सर्च ऑपरेशन चल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि तलाशी अभियान के दौरान मारे गए नक्सलियों की संख्या में और इज़ाफा हो सकता है। फायरिंग रुक-रुक कर जारी है और पूरे इलाके को सील कर दिया गया है।
संयुक्त ऑपरेशन को मिली तेज़ी
बस्तर संभाग में नक्सल विरोधी अभियान को एक बार फिर तेज कर दिया गया है। हाल ही में कई शीर्ष माओवादियों के आत्मसमर्पण को लेकर बनाए गए अनुकूल माहौल के बाद एजेंसियों ने सक्रिय कार्रवाई शुरू की है। सूत्रों के मुताबिक, बटालियन के चर्चित नक्सली बारसे देवा, पापाराव, केसा समेत अन्य माओवादियों से आत्मसमर्पण की कोशिशें की जा रही थीं।
आत्मसमर्पण को प्रोत्साहित करने के लिए करीब 15 दिनों तक जंगलों में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि, जब इस दौरान बटालियन की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली और संपर्क टूट गया, तब एजेंसियों ने ऑपरेशन को दोबारा तेज करने का फैसला लिया।
पहले भी हुए थे हथियार डाले
इससे पहले डीकेएसजेडसी के सदस्य चैतू उर्फ श्याम दादा अपने नौ साथियों के साथ जगदलपुर पहुंचकर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर चुके हैं। बस्तर आईजी पी. सुंदरराज ने बताया कि संगठन के भीतर लगातार टूट-फूट की स्थिति बन रही है। माओवादी अब अपनी विचारधारा से मोहभंग महसूस कर रहे हैं और मुख्यधारा में लौटने का रास्ता चुन रहे हैं।
कॉलेज से जंगल तक का सफर
आत्मसमर्पित नक्सली चैतू उर्फ श्याम दादा ने बताया कि वह कॉलेज के दिनों में माओवादियों की मेडिकल टीम के संपर्क में आया था। इसके बाद 1985 में वह भूमिगत हो गया और कई वर्षों तक दरभा डिवीजन के साथ सक्रिय रूप से काम करता रहा। लंबे समय तक संगठन से जुड़े रहने के बाद अंततः उसने हिंसा छोड़कर आत्मसमर्पण का रास्ता चुना।


