छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेलवे स्टेशन के पास मंगलवार शाम एक बड़ा रेल हादसा हुआ, जिसमें मेमू (मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) ट्रेन एक मालगाड़ी से टकरा गई। इस भीषण टक्कर में कम से कम 11 यात्रियों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हुए हैं। हादसा शाम करीब चार बजे हुआ, जब गेवरा (कोरबा जिला) से बिलासपुर आ रही मेमू ट्रेन हावड़ा-मुंबई मुख्य रेलमार्ग पर गतोरा और बिलासपुर स्टेशनों के बीच मालगाड़ी से पीछे से जा टकराई।
टक्कर इतनी जोरदार थी कि डिब्बे चढ़ गए एक-दूसरे पर
अधिकारियों ने बताया कि दुर्घटना इतनी भयंकर थी कि यात्री ट्रेन का एक कोच मालगाड़ी के एक डिब्बे पर चढ़ गया। राहत एवं बचाव दल ने तुरंत मौके पर पहुंचकर कार्यवाही शुरू की। फिलहाल मलबे में 2 से 3 लोगों के फंसे होने की आशंका अब भी बनी हुई है।
रेड सिग्नल तोड़ना बना हादसे का कारण
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, प्रारंभिक जांच से पता चला है कि मेमू ट्रेन ने रेड सिग्नल तोड़ दिया था और लगभग 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मार दी। अधिकारियों का कहना है कि यह भी जांच का विषय है कि लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक क्यों नहीं लगाया, जबकि सामने मालगाड़ी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी।

चालक की मौत, सहायक गंभीर रूप से घायल
हादसे में लोको पायलट विद्या सागर की मौत हो गई है, जबकि सहायक लोको पायलट रश्मि राज गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। मालगाड़ी का गार्ड समय रहते कूद गया, जिससे उसे केवल मामूली चोटें आईं।
राहत और मुआवजा
घायल यात्रियों को बिलासपुर के अपोलो अस्पताल, छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) और अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
रेल प्रशासन ने बयान जारी कर बताया कि मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 5-5 लाख रुपये और सामान्य घायलों को 1-1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। वहीं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
उच्च स्तरीय जांच के आदेश
रेलवे ने कहा है कि इस दुर्घटना की विस्तृत जांच रेलवे सुरक्षा आयुक्त स्तर पर कराई जाएगी, ताकि हादसे के कारणों की पूरी जानकारी लेकर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।


