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बरेली में बुलडोजर एक्शन पर ब्रेक, सुप्रीम कोर्ट से मैरिज हॉल को राहत

सपा नेता के मैरिज हॉल पर ध्वस्तीकरण रुका, शीर्ष अदालत का आदेश

                                                 सूफी टोला विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने BDA की कार्रवाई पर लगाई रोक

बरेली के सूफी टोला इलाके में सपा नेता सरफराज वली खान और राशिद खां के मैरिज हॉल पर चल रही ध्वस्तीकरण कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक दिया है। अदालत के आदेश के बाद गुरुवार दोपहर बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) की टीम बुलडोजर और पोकलेन लेकर वापस लौट गई।

बीते दो दिनों में दोनों मैरिज हॉलों का करीब 30–30 प्रतिशत हिस्सा गिराया जा चुका था। गुरुवार सुबह करीब 11:30 बजे जब कार्रवाई फिर शुरू हुई, उसी दौरान बीडीए के संयुक्त सचिव दीपक कुमार को प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. मनिकंडन ए. का फोन आया, जिसमें कार्रवाई तत्काल रोकने और मशीनें हटाने के निर्देश दिए गए। इसके बाद अफसरों ने काम बंद कराया।

10 दिसंबर तक यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश

मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने की। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट से राहत लेने की सलाह देते हुए अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि 10 दिसंबर तक दोनों पक्ष यथास्थिति बनाए रखें।

याचिका फरहत जहां समेत कई अन्य लोगों द्वारा दाखिल की गई थी, जिनमें रऊफ रहीम, वसीम अख्तर, रिजवान अहमद, शकील अहमद, हिमांशु गुप्ता और अन्य शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी मिलते ही यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई।

हॉल मालिकों का दावा

सरफराज वली खान के बेटे सैफ वली खान ने बताया कि जब ये मैरिज हॉल बने थे, उस समय न तो बीडीए का गठन हुआ था और न ही नक्शा पास कराने की कोई व्यवस्था थी। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2018 में कंपाउंडिंग शुल्क जमा किया गया था, जिसकी रसीद आज भी मौजूद है। इसके बावजूद बिना पर्याप्त मौका दिए अचानक नोटिस जारी कर कार्रवाई शुरू कर दी गई।

2021 में जारी हुआ था तोड़ने का आदेश

बीडीए ने 12 अक्टूबर 2021 को इन भवनों को अवैध बताते हुए ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया था। सरफराज का मैरिज हॉल उनकी पत्नी फरहत जहां के नाम पर पंजीकृत है। इसके तहत मंगलवार से कार्रवाई की गई, जो अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से रोकी गई है।

आजादी से पहले बनी इमारत का दावा

सरफराज ने दावा किया कि उनकी इमारत की ईंटें 1942 और 1946 के दौर की हैं और यह भवन देश की आजादी से पहले का है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में उन्हें राजनीतिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। अब वे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

बीडीए ने जताया न्यायपालिका पर भरोसा

प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. मनिकंडन ए. ने कहा कि बीडीए ने कानून के अनुसार कार्रवाई की थी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूरा सम्मान किया जाएगा। मामले के हाईकोर्ट पहुंचने पर प्राधिकरण अपना पक्ष तथ्यों के साथ रखेगा।

स्थानीय लोगों की परेशानी

इलाके के निवासियों ने बताया कि दो दिन चली कार्रवाई के कारण मुख्य रास्ता बंद हो गया था। दुकानों की बिक्री प्रभावित हुई और धूल-मलबे के कारण आसपास के घरों में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

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