पुलिस घेराबंदी के बीच बीडीए की कार्रवाई, आरिफ का असर और इमारतें दोनों ढहीं

बरेली विकास प्राधिकरण (BDA) ने शनिवार को मौलाना तौकीर रज़ा के नजदीकी माने जाने वाले कॉलोनाइज़र मोहम्मद आरिफ पर बड़ी कार्रवाई की। सुबह 11 बजे पीलीभीत बाईपास और जगतपुर क्षेत्र में स्थित उनकी दो अवैध इमारतें ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई। कार्रवाई से पहले क्षेत्र को पुलिस ने पूरी तरह घेर लिया था।
भारी पुलिस बल तैनात, माइक से हटने की चेतावनी
जगतपुर में जैसे ही बीडीए की टीम पहुंची, बारादरी थाने की पुलिस ने इलाका खाली करवाना शुरू किया। सीओ तृतीय पंकज श्रीवास्तव के नेतृत्व में कई थानों की फोर्स मौके पर मौजूद रही। भीड़ हटाने और किसी तरह की अव्यवस्था रोकने के लिए लगातार माइक से घोषणा की जाती रही।
बिना नक्शा पास कराए बनाया गया मार्केट
बीडीए उपाध्यक्ष डॉ. ए. मणिकंडन ने बताया कि
- जगतपुर में दो मंजिला मार्केट
- और पीलीभीत बाईपास पर कपड़ों का शोरूम
दोनों का निर्माण बिना किसी स्वीकृत नक्शे के किया गया था। इन परिसरों में जिम, होम डेकोर शॉप समेत कई दुकानें चल रही थीं। जांच के बाद बीडीए ने 11 अक्टूबर को दोनों इमारतें सील कर दी थीं।
15 दुकानें और दो शोरूम तोड़े जाने की शुरुआत
शनिवार को ध्वस्तीकरण टीम ने पीछे की ओर से जेसीबी चलवाकर दीवारें गिरानी शुरू कीं। जैसे-जैसे बुलडोजर आगे बढ़ा, भीड़ तमाशा देखने जुटती रही। एहतियातन इलाके की बिजली काट दी गई और मार्ग पर यातायात भी रोक दिया गया।
दुकानदारों का आरोप— सामान निकालने का मौका तक नहीं मिला
जगतपुर मार्केट में आरिफ ने तीन साल पहले तैयार की गई कई दुकानों को 30 लाख रुपये तक में बेचा था। जो दुकानें नहीं बिकीं, उन्हें आठ–नौ हजार रुपये मासिक किराये पर दे दिया गया था। दुकानदारों ने सीलिंग के समय शिकायत की थी कि उन्हें अपने सामान तक निकालने का वक़्त नहीं दिया गया।
पीलीभीत रोड स्थित आरिफ के कॉम्प्लेक्स में भी इसी तरह बिना मानचित्र के निर्माण हुआ था। भूतल पर चल रही फर्नीचर दुकान के मालिक जाहिद हुसैन ने बताया कि यह बिल्डिंग लगभग आठ साल पुरानी है, लेकिन किसी वैध दस्तावेज़ का रिकॉर्ड मौजूद नहीं था।
लोगों की प्रतिक्रिया— “जो कभी रसूखदार था, आज सब मिट गया”
स्थानीय निवासी मोहम्मद इलियास ने कहा कि जब यह मार्केट बन रहा था, तब आरिफ का प्रभाव देखते ही बनता था। मोहल्ले वालों को यह नहीं पता था कि निर्माण अवैध है। इलियास बोले— “समय कैसे बदलता है, आज उसकी इमारतें भी टूटीं और उसका दबदबा भी खत्म हुआ।”


