विदेशियों को निशाना बनाने वाला बड़ा साइबर रैकेट पकड़ में, मास्टरमाइंड शानू फरार
दक्षिण दिल्ली के सतबरी क्षेत्र में पुलिस ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया है। इस दौरान एक महिला सहित आठ लोगों को हिरासत में लिया गया है। आरोप है कि यह गिरोह एक रिहायशी इमारत में छिपकर वीओआईपी कॉलिंग, विदेशी डेटा और जाली उपकरणों की मदद से विदेशी नागरिकों को ठगने के लिए कॉल सेंटर चला रहा था।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस रैकेट का संचालन शानू नाम का अपराधी कर रहा था, जिसकी तलाश पहले से ही कई मामलों में चल रही थी। छापेमारी से कुछ समय पहले ही वह मौके से फरार हो गया। उसकी गिरफ्तारी के लिए एक स्पेशल टीम तैनात की गई है।
जाँच में सामने आया कि जिस इमारत में यह कॉल सेंटर चल रहा था, वह शानू के छोटे भाई रेहान उर्फ टिन्नी के नाम पर रजिस्टर्ड है। पुलिस ने इमारत को सील कर दिया है और घटनास्थल से भारी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए हैं—जिसमें कंप्यूटर सिस्टम, मोबाइल फोन, वीओआईपी टूल्स, विदेशी डेटा बेस और धोखाधड़ी में उपयोग होने वाले दस्तावेज शामिल हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, पूरा सेटअप एक असली इंटरनेशनल कस्टमर सपोर्ट सेंटर जैसा दिखता था, ताकि किसी को शक न हो। गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ जारी है, ताकि नेटवर्क की गहराई, जुड़े हुए अन्य रैकेट और इसकी आर्थिक पहुँच का पता लगाया जा सके।
इससे पहले भी, 10 नवंबर को साइबर सेल ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में कई ठिकानों पर धावे बोलकर डिजिटल अरेस्ट और निवेश धोखाधड़ी से जुड़े कई मास्टरमाइंडों को पकड़ा था। इन छापों में दुबई से जुड़े लगभग 5 करोड़ रुपये मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी ट्रेल का पता चला था। साथ ही फर्जी कंपनियों, म्यूल बैंक खातों और ई-कॉमर्स फ्रंट का भी खुलासा हुआ।
इस कार्रवाई में कुरुक्षेत्र के सुमित कुमार, अतुल शर्मा, हिसार के राहुल मांडा, जालंधर के वरुण अंचल उर्फ लकी और सारन के अमित कुमार सिंह उर्फ कार्तिक को विभिन्न मामलों में गिरफ्तार किया गया था। गुरुग्राम में की गई छापेमारी में 552,944 USDT (करीब 5 करोड़ रुपये) के बराबर डिजिटल संपत्ति से जुड़े मोबाइल फोन, सिम, लैपटॉप, चेकबुक और तीन क्रिप्टो वॉलेट भी बरामद किए गए।


