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नेशनल हेराल्ड केस: EOW का डीके शिवकुमार को नोटिस, 19 दिसंबर तक मांगे दस्तावेज

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। नेशनल हेराल्ड मामले से जुड़े जांच में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने उन्हें नोटिस भेजकर वित्तीय लेनदेन से जुड़ी जानकारियां मांगी हैं। 29 नवंबर को जारी इस नोटिस के तहत शिवकुमार को 19 दिसंबर तक सभी जरूरी दस्तावेज और रिकॉर्ड EOW कार्यालय में जमा कराने को कहा गया है। नोटिस मिलने के बाद डीके शिवकुमार ने जांच एजेंसियों की कार्रवाई को “परेशान करने वाला” बताया है। बेंगलुरु में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि इससे पहले वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) को पहले ही सारे दस्तावेज सौंप चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनका और उनके भाई का बयान भी दर्ज हो चुका है, और सभी लेनदेन पूरी तरह पारदर्शी हैं।

“हर चीज साफ-साफ दर्ज है” – शिवकुमार

डीके शिवकुमार ने कहा, “मुझे यह बेहद चौंकाने वाला लगता है। हमने ED को पहले ही सभी डिटेल्स दे दी हैं। हमारे खिलाफ कुछ भी गलत नहीं है। सब कुछ ब्लैक एंड व्हाइट में है। हमने न कभी कुछ छुपाया है और न ही जांच से भागे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि ED द्वारा चार्जशीट दाखिल हो जाने के बाद पुलिस जांच की जरूरत समझ से परे है। उनके मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया का मकसद विपक्षी नेताओं को परेशान करना है।

शिवकुमार ने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस समर्थकों को निशाना बनाने के लिए “कन्फ्यूजन पैदा करने की कोशिश” की जा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी फंडिंग पूरी तरह वैध है और टैक्स चुकाने वाला नागरिक अपनी कमाई को दान कर सकता है।

नोटिस में EOW ने क्या-क्या मांगा?

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने शिवकुमार से पूछताछ के लिए कई अहम जानकारियां मांगी हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • बैंक खातों के जरिए हुए लेनदेन का पूरा ब्योरा
  • फंड के स्रोत और उनके इस्तेमाल का उद्देश्य
  • शिवकुमार, ‘यंग इंडियन’ और एआईसीसी के पदाधिकारियों के बीच हुए किसी भी प्रकार के संवाद की जानकारी
  • यह स्पष्ट करना कि भुगतान किसी निर्देश के तहत हुआ या नहीं
  • क्या उन्हें इन पैसों के इस्तेमाल की जानकारी थी
    इसके अलावा EOW ने आयकर रिटर्न, वित्तीय विवरण और किसी भी तरह के दान प्रमाणपत्र की कॉपी भी मांगी है।

आखिर क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?

नेशनल हेराल्ड केस की शुरुआत 2013 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक निजी शिकायत से हुई थी। आरोप है कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की करीब 988 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियां बेहद कम रकम में ‘यंग इंडियन’ नामक कंपनी को सौंप दी गईं।

बताया जाता है कि वर्ष 2010 में कांग्रेस से जुड़े एक लेनदेन के जरिए यह संपत्ति मात्र 50 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दी गई। ‘यंग इंडियन’ कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की संयुक्त हिस्सेदारी करीब 76 प्रतिशत है। ईडी की जांच के बाद इस मामले में दिल्ली पुलिस की EOW ने प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और विश्वासघात जैसे आरोप लगाए गए हैं।

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