इलाज नहीं, इंजेक्शन से दी मौत! जर्मनी में नर्स को आजीवन कारावास”
सोचिए… आप या आपका कोई अपना बीमार है, इलाज के भरोसे अस्पताल में भर्ती है। डॉक्टर और नर्सों पर पूरा विश्वास है — क्योंकि वही तो ज़िंदगी की आखिरी उम्मीद होते हैं।
लेकिन क्या हो, अगर वही नर्स ज़िंदगी नहीं, मौत का इंजेक्शन दे दे?
जर्मनी से आई इस खबर ने पूरे मेडिकल जगत को हिला कर रख दिया है। पश्चिमी जर्मनी की एक अदालत ने एक नर्स को 10 मरीजों की हत्या और 27 अन्य को मारने की कोशिश करने के अपराध में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

नाइट शिफ्ट बनी खौफ की वजह
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नर्स को नाइट शिफ्ट से बेहद नफरत थी। काम का बोझ और चिड़चिड़ापन इतना बढ़ गया कि उसने अपना गुस्सा मासूम बुजुर्ग मरीजों पर उतार दिया।
दिसंबर 2023 से मई 2024 के बीच वुर्सेलन (Wuerselen) शहर के अस्पताल में यह खौफनाक वारदातें हुईं। उसी अस्पताल में जहां लोग इलाज की उम्मीद लेकर आते थे, वहीं इंजेक्शन ज़हर का ज़रिया बन गया।
बिना सहानुभूति, बिना पछतावे
कोर्ट में बताया गया कि नर्स ने किसी मरीज के प्रति ज़रा भी दया नहीं दिखाई। वो गुस्से में, ठंडे दिमाग से इंजेक्शन लगाती थी — बस इतना कि मरीज हमेशा के लिए खामोश हो जाए।
अब अस्पताल में भर्ती हुए अन्य मरीजों की भी जांच की जा रही है, कहीं उन्हें भी वही “धीमी मौत” न दी गई हो।
पहले भी कांप चुका है जर्मनी
यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी नील्स होगेल नामक एक नर्स को 1999 से 2005 के बीच 85 मरीजों की हत्या के लिए आजीवन कारावास मिला था। अब इतिहास खुद को दोहराता दिखाई दे रहा है।
भरोसे पर लगा दाग
अस्पताल — जो इंसान की आखिरी उम्मीद होता है — अब डर की तस्वीर बन गया है।
कहानी सिर्फ एक देश की नहीं, बल्कि एक सवाल की है:
“जब इंसानियत की रक्षक ही बन जाए हत्यारी, तो भरोसे का क्या होगा?”


