‘वो एक नाम जिसने इतिहास लिखा’ — दीप्ति शर्मा की ऑलराउंड चमक से भारत विश्व विजेता
भारत की ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा ने नवी मुंबई के मैदान पर इतिहास रच दिया। रविवार को खेले गए फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को मात देकर भारत ने पहली बार महिला विश्व कप का खिताब अपने नाम किया — और इस जीत की सबसे बड़ी नायिका रहीं दीप्ति शर्मा।

बल्ले से संभाली पारी, गेंद से पलटा मैच
भारत जब मुश्किल दौर में था, तब दीप्ति ने क्रीज पर डटकर टीम को संभाला। उनके धैर्यपूर्ण 58 रन ने पारी को स्थिरता दी और भारत को एक प्रतिस्पर्धी स्कोर तक पहुँचाया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई — गेंदबाजी में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की बल्लेबाजी को तहस-नहस कर दिया।
दीप्ति ने अपने 9.3 ओवर में 5 विकेट लेकर मात्र 39 रन दिए और मैच का पूरा रुख भारत की ओर मोड़ दिया।
टूर्नामेंट में ऑलराउंड दबदबा
पूरे विश्व कप में दीप्ति का प्रदर्शन असाधारण रहा। उन्होंने 9 मैचों की सात पारियों में 215 रन बनाए, औसत 30.71 और स्ट्राइक रेट 90.71 रही।
उनकी बल्लेबाजी में तीन अर्धशतक शामिल रहे, और 58 रन उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर रहा।
गेंद से उन्होंने 22 विकेट चटकाए — औसत 24.11 के साथ वह टूर्नामेंट की सर्वाधिक विकेट लेने वाली गेंदबाज बनीं।
इतिहास में दर्ज नाम
- किसी एक महिला विश्व कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली भारतीय बनीं (22 विकेट)।
- 1981-82 में शुभांगी कुलकर्णी और 2005 में नीतू डेविड के 20-20 विकेट के रिकॉर्ड को तोड़ा।
- महिला विश्व कप फाइनल में पांच विकेट लेने वाली पहली भारतीय बनीं।

भारत की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में शामिल
इस प्रदर्शन के साथ दीप्ति अब महिला विश्व कप के इतिहास में भारत की दूसरी सबसे सफल गेंदबाज बन गई हैं।
उनके नाम अब 36 विकेट हैं, जबकि उनसे आगे सिर्फ दिग्गज झूलन गोस्वामी (43 विकेट) हैं।
डायना एडुल्जी (31), नीतू डेविड और पूर्णिमा राउ (30-30) उनके बाद आती हैं।
टीम इंडिया की शानदार शुरुआत
फाइनल में दक्षिण अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी।
भारत की शुरुआत स्मृति मंधाना (45 रन, 58 गेंद, 8 चौके) और शेफाली वर्मा (87 रन, 78 गेंद, 7 चौके, 2 छक्के) की बदौलत शानदार रही।
दोनों ने पहले विकेट के लिए शतकीय साझेदारी की, जिसके बाद जेमिमा रोड्रिग्स (24 रन) ने भी टीम को आगे बढ़ाया।
भारत ने एक समय 166/2 का मजबूत स्कोर खड़ा किया, जिसने बाद में जीत की नींव रखी।


