एच-1बी वीज़ा मुद्दे पर कैरोलिन लेविट का खुलासा—‘अमेरिकी फैक्ट्रियों में पहले अमेरिकियों को मौका’

एच-1बी वीज़ा शुल्क को लेकर जारी विवाद के बीच व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का लक्ष्य एक तरफ अमेरिका को विदेशी निवेश के लिए आकर्षक बनाना है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी नागरिकों की नौकरियों की रक्षा करना भी उनकी शीर्ष प्राथमिकता है।
लेविट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने विदेशी कंपनियों को यह निर्देश दिया है कि यदि वे अमेरिकी बाज़ार में व्यापार जारी रखना चाहती हैं, तो उन्हें यहां निवेश बढ़ाने के साथ-साथ अपने उद्योगों में स्थानीय लोगों को ही रोजगार देना होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति अमेरिकी कर्मचारियों को किसी भी कीमत पर बाहर किए जाने का समर्थन नहीं करते।
प्रेस सचिव ने बताया कि ट्रंप अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को पहले से अधिक मजबूत बनाने के लिए टैरिफ के रणनीतिक इस्तेमाल और वैश्विक स्तर पर बेहतर व्यापारिक समझौतों पर जोर दे रहे हैं।
एच-1बी वीज़ा को लेकर उठ रही आपत्तियों पर लेविट ने कहा कि इस विषय पर राष्ट्रपति का नजरिया संतुलित और व्यावहारिक है। उन्होंने समझाया कि यदि कोई विदेशी कंपनी अरबों–खरबों डॉलर का निवेश कर अमेरिका में बैटरी जैसी उन्नत तकनीक से जुड़े उत्पाद बनाना चाहती है और विशेषज्ञ विदेशी कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है, तो राष्ट्रपति चाहते हैं कि उत्पादन इकाइयाँ समय पर शुरू हों—लेकिन अंततः इन नौकरियों में अमेरिकी लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
कुछ दिन पहले ट्रंप ने भी एच-1बी प्रोग्राम का समर्थन करते हुए कहा था कि वे अपने कंज़र्वेटिव और MAGA समर्थकों का सम्मान करते हैं, लेकिन अमेरिका को कुशल विदेशी प्रतिभा की भी आवश्यकता है।
20 नवंबर को यूएस–सऊदी इन्वेस्टमेंट फोरम में उन्होंने अपनी आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा था कि हाई-टेक उद्योगों में भारी निवेश करने वाली कंपनियाँ तुरंत स्थानीय बेरोजगारों को प्रशिक्षित कर विशेषज्ञ भूमिकाएँ नहीं दे सकतीं। इसके लिए अमेरिकी कर्मचारियों को अग्रिम प्रशिक्षण देने की जरूरत है, ताकि विदेशी विशेषज्ञों पर निर्भरता धीरे-धीरे कम की जा सके।


