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छत्तीसगढ़ में जनजातीय गौरव दिवस: राष्ट्रपति मुर्मू ने आदिवासी योगदान को बताया भारत की शान

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को शिरकत की। यह आयोजन राज्य सरकार द्वारा आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों, विशेषकर बिरसा मुंडा, के योगदान को सम्मान देने के लिए किया गया था।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत के इतिहास में आदिवासी समुदायों की भूमिका “गौरव और संघर्ष” का ऐसा अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार आदिवासी समाज के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और इसके लिए अनेक राष्ट्रीय योजनाएँ लागू की गई हैं।

कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने राज्य की प्रगति के लिए छत्तीसगढ़ के लोगों को बधाई भी दी। मंच पर राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भी उपस्थित थे। मुर्मू ने याद दिलाया कि राज्य हाल ही में अपना रजत जयंती वर्ष मना चुका है और यह उसके विकास–यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है। उन्होंने यह भी बताया कि भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली (झारखंड) जाकर श्रद्धांजलि देना उनके लिए सौभाग्य की बात रही।

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक झलक का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हेलीपैड से कार्यक्रम स्थल तक का रास्ता तय करते समय उन्हें राज्य की समृद्ध परंपराएँ और लोक–संस्कृति स्पष्ट रूप से दिखाई दीं। उन्होंने कहा कि आदिवासी कला और संस्कृति को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने उन लोगों की भी सराहना की जो वामपंथी उग्रवाद का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं। उनका कहना था कि केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयासों से निकट भविष्य में वामपंथी उग्रवाद पूरी तरह समाप्त हो सकता है।

अंबिकापुर पहुँचने पर राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रपति का औपचारिक स्वागत किया। इससे पहले केंद्रीय मंत्री तोखन साहू ने भी राष्ट्रपति मुर्मू के छत्तीसगढ़ आगमन को राज्य के लिए सम्मान की बात बताया।

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