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“गली में गूंजती रही चीखें, पर कोई न आया बाहर — एसआई रमेश कुमार की पीट-पीटकर हत्या”

“हुड़दंगियों ने ली इंसानियत की जान: पड़ोसी सुनते रहे, एसआई रमेश की सांसें थम गईं”

हिसार के मिलगेट क्षेत्र की श्यामलाल की ढाणी की गली नंबर-3 गुरुवार रात हिंसा से दहल उठी। रात करीब 11 बजे कुछ असामाजिक तत्वों ने हरियाणा पुलिस के उपनिरीक्षक रमेश कुमार पर बेरहमी से हमला कर दिया। लाठी-डंडों और ईंटों से की गई पिटाई में रमेश कुमार की मौके पर ही मौत हो गई। आसपास के लोग उस वक्त अपने-अपने घरों में थे। किसी ने शोर तो सुना, मगर यह सोचकर बाहर नहीं निकले कि शायद फिर वही रोज़ के हुड़दंगी हों जो थोड़ी देर में खुद ही चले जाएंगे। परंतु सुबह जब घटना की खबर फैली, तो पूरे मोहल्ले में सन्नाटा पसर गया। लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि जिस व्यक्ति ने पूरे पड़ोस से अपनापन बनाया, वही आज मदद के बिना चला गया।

हमलावरों का तांडव और परिवार की चीख

बताया गया कि रात 10:30 बजे कुछ युवक मोहल्ले में हुड़दंग मचा रहे थे। रमेश कुमार के भतीजे अमित ने उन्हें टोका तो वे धमकी देकर चले गए। करीब आधे घंटे बाद लगभग पंद्रह लोग हथियार लेकर लौटे और रमेश कुमार के घर पर पथराव शुरू कर दिया। रमेश कुमार बाहर निकले ही थे कि हमलावरों ने कहा — “पहले थानेदार को देखो।” इसके बाद उन पर ईंट और डंडों से हमला कर दिया गया। भतीजा अमित बीच-बचाव करने पहुंचा तो उसे भी मारने की धमकी दी गई। पत्नी बबली जब शोर सुनकर बाहर आईं, तो पति खून से लथपथ पड़े थे। वे बेहोश होकर गिर पड़ीं। अमित ने पुलिस को फोन कर सूचना दी। कुछ देर बाद कुछ लोग बाहर निकले, लेकिन तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था।

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परिवार की पृष्ठभूमि

रमेश कुमार पांच भाइयों में चौथे नंबर पर थे। बड़े भाई कृष्ण हरियाणा पुलिस में एएसआई थे, जिनकी कुछ वर्ष पहले सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी। दूसरे भाई रामगोपाल पशुपालन विभाग से और तीसरे भाई रोहताश कृषि विभाग से सेवानिवृत्त हैं। सबसे छोटे भाई सुरेश स्थानीय आटा चक्की चलाने के साथ दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में सहायक के रूप में कार्यरत हैं।

व्यक्तित्व: सबका प्रिय और मददगार इंसान

रमेश कुमार अपने मिलनसार स्वभाव के लिए पूरे इलाके में जाने जाते थे। उन्हें घुड़सवारी और फिटनेस का शौक था। हाल ही में उन्होंने स्वास्थ्य सुधार के लिए चाय छोड़ दी थी और अक्सर कहा करते थे — “रिटायरमेंट के बाद दाढ़ी रखूंगा, भारत भ्रमण पर जाऊंगा।” वे पुलिस की वर्दी कम ही पहनते थे, इसलिए आसपास के बहुत से लोगों को यह तक नहीं पता था कि वे पुलिस में हैं। एक महीने की छुट्टी उन्होंने 10 नवंबर से ली थी, ताकि घर और स्वास्थ्य पर ध्यान दे सकें।

परिवार की अधूरी जिम्मेदारियाँ

रमेश कुमार की दो बेटियाँ हैं। बड़ी बेटी रेणु की शादी हो चुकी थी, जबकि छोटी बेटी सुजाता के लिए रिश्ते की तलाश चल रही थी। वे अक्सर कहते थे —
“बस बेटियों की शादी का फर्ज पूरा हो जाए, फिर चैन की सांस लूंगा।”

पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी

घटना के बाद पुलिस ने तुरंत छापेमारी शुरू की। शुक्रवार को ही पिता-पुत्र समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। तीन आरोपी पुलिस से बचने के दौरान गिरकर घायल हो गए, जिनके हाथ-पैर में फ्रैक्चर बताया जा रहा है। मौके से एक कार और दो स्कूटी बरामद की गई हैं।

डीएसपी तनुज शर्मा ने अस्पताल में पोस्टमॉर्टम की निगरानी की, जबकि एसपी शशांक कुमार सावन और एडीजीपी के.के. राव रात में ही शोकग्रस्त परिवार से मिले। उन्होंने परिवार को हर संभव सहायता और न्याय का भरोसा दिलाया। शुक्रवार शाम छह बजे उपनिरीक्षक रमेश कुमार का अंतिम संस्कार पूरे पुलिस सम्मान के साथ किया गया। पूरे शहर ने एक संवेदनशील, ईमानदार और सरल अधिकारी को खो दिया।

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