रामनगर की दिल दहला देने वाली वारदात: दुष्कर्म व निर्मम हत्या के दोषी को मौत की सज़ा

विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट-III) विनोद कुमार की अदालत ने मंगलवार को रामनगर थाना क्षेत्र में 11 महीने पहले हुई 8 वर्षीय बच्ची की सनसनीखेज वारदात में आरोपी इरशाद को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने उस पर 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसकी पूरी राशि पीड़ित परिवार को दी जाएगी। फैसला सुनाते समय अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अपराध की残忍ता ऐसी है, जिसे कोई इंसान नहीं कर सकता। आरोपी की हरकतें उसे “वहशी प्रवृत्ति” का साबित करती हैं और समाज के लिए गंभीर खतरा हैं।
घटना का विवरण
24 दिसंबर 2024 की शाम बच्ची पास की दुकान से मच्छर मारने वाली क्वायल लेने निकली थी, लेकिन घर नहीं लौटी। परिजनों ने तत्काल खोजबीन की, पर सफलता नहीं मिली। अगले दिन 25 दिसंबर की सुबह बहादुरपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय परिसर में बोरे में बंद उसका शव बरामद हुआ। सिर पर भारी पत्थर से वार किए गए थे। पिता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ और पुलिस जांच शुरू हुई।
जांच में सामने आया खुलासा
जांच में पता चला कि स्थानीय निवासी इरशाद ने बच्ची को अगवा किया, दुष्कर्म किया और फिर पहचान उजागर होने के डर से उसकी हत्या कर दी। बच्ची का पोस्टमार्टम महिला डॉक्टरों की टीम ने किया, जिसमें गंभीर बर्बरता और दुष्कर्म की पुष्टि हुई। पुलिस ने घटनास्थल से बच्ची की फटी शर्ट, बटन, खून लगी ईंट, बोरा और अन्य अहम सबूत कब्जे में लिए। CCTV फुटेज ने आरोपी की पहचान पुख्ता की।
तेजी से विवेचना और गिरफ्तारी
पुलिस ने केवल 13 दिनों में पूरी विवेचना कर 7 जनवरी 2025 को चार्जशीट अदालत में दाखिल कर दी। आरोपी को 26 दिसंबर की रात डोमरी क्षेत्र में मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया गया था, जिसमें उसके पैर में गोली लगी थी। पूछताछ में इरशाद ने स्वीकार किया कि बच्ची को सुनसान जगह ले जाकर दुष्कर्म किया, फिर स्कार्फ से गला दबाकर हत्या की और शव को बोरे में भरकर स्कूल परिसर में फेंक दिया।
सुनवाई और फैसला
अभियोजन की ओर से कुल सात गवाह पेश किए गए, जिनमें बच्ची के पिता, पुलिस कर्मी और पोस्टमार्टम टीम की डॉक्टर शामिल थीं। सभी साक्ष्यों को सुनने के बाद अदालत ने 7 नवंबर 2025 को फैसला सुरक्षित कर लिया और 18 नवंबर को इरशाद को फांसी की सजा सुनाई।


