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ऑनलाइन गेमिंग और हवाला के जरिये करोड़ों की ठगी — नागपुर पुलिस ने किया बड़ा खुलासा

नागपुर । नागपुर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय वित्तीय रैकेट को बेनकाब करते हुए 23 आरोपियों को दबोच लिया है; इस गिरोह की जांच में अब तक 21 राज्यों से जुड़े लगभग 200 मामले सामने आए हैं और दो अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। पुलिस के अनुसार गिरोह ने अवैध रूप से ₹20 करोड़ से भी अधिक की नकदी अलग-अलग खातों के माध्यम से अपने नियंत्रण में संचालित कराई।

कैसे काम करता था रैकेट

पुलिस की शुरुआती जांच के मुताबिक गिरोह ने कमजोर आर्थिक स्थिति वाले लोगों और परिचितों को “बिज़नेस पार्टनर” बनने का भरोसा दिलाकर उनका निजी दस्तावेज़ (आधार, पैन आदि) प्राप्त किया। इन दस्तावेज़ों के आधार पर पीड़ितों के नाम पर बैंक खाता खोले गए और खाताधारकों को छोटे कमीशन के रूप में ₹20,000–₹25,000 दिए जाते थे — जबकि खाते में बड़े पैमाने पर हवाला, सट्टेबाजी, ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो संबंधी लेन-देनों के जरिये करोड़ों रुपए ट्रांजैक्ट किए जाते थे। खाताधारकों को अकसर पता ही नहीं चलता था कि उनके नाम पर इतनी बड़ी रकम आ-जाने और निकल जाने का क्या कारण है।

पैसों का भुगतान और विदेश ट्रांसफर

पुलिस ने बताया कि रैकेट हवाला, बेटिंग और क्रिप्टो माध्यमों से इकट्ठा राशि को विदेशी ठिकानों तक पहुंचा रहा था — मुख्यत: कंबोडिया और चीन के कनेक्शनों के जरिये। नागपुर पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से कई सिम-कार्ड और दर्जनों मोबाइल जब्त किए हैं तथा करीब ₹54 लाख फ्रीज कराए गए हैं। जांच में यह भी पता चला कि गिरोह के अंतर्गत लगभग 70–75 “किराए” बैंक खाते संचालित किए जा रहे थे।

गिरोह का ढांचा और गतिशीलता

पुलिस आयुक्त डॉ. रविंद्र सिंगल ने बताया कि गिरोह के कुल सदस्य लगभग 28 थे; वे बार-बार ठिकाना बदलते रहते थे — आम तौर पर तीन-चार दिन एक जगह रुकते और फिर किसी नए ठिकाने पर चले जाते। महाराष्ट्र में भी इस गिरोह के खिलाफ अलग-अलग जिलों में लगभग 25 मामले दर्ज किए गए हैं। आयकर व आर्थिक शाखा इस बात की पड़ताल कर रही है कि धनराशि किस तरह विदेश भेजी जा रही थी और किन संस्थागत/निजी चैनलों का उपयोग किया गया।

केस कैसे उखड़ा

मामला तब खुला जब गोंदिया जिले के एक बैंक खाते में लगभग ₹1.73 करोड़ का अचानक जमा होने पर खाताधारक ने नागपुर पुलिस को सूचित किया। इस सूचना के आधार पर गोंदिया व नागपुर से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और आगे की गिरफ़्तारी व खुलासे के बाद व्यापक रैकेट का नेटवर्क सामने आया।

अहम बिंदु (संक्षेप में)

  • गिरफ्तार: 23 (कुल गिरोह में लगभग 28 सदस्य; 2 फरार)।
  • प्रभावित राज्यों की संख्या: लगभग 21।
  • दर्ज मुकदमे: करीब 200।
  • खातों के माध्यम से हुए जमा: ₹20 करोड़ से अधिक।
  • फ्रीज की गई राशि: ~₹54 लाख।
  • उपयोग किए गए किराए के खाते: लगभग 70–75।
  • अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन: चीन और कंबोडिया।
  • ऑपरेशन का प्राथमिक मंच: Telegram एप के जरिए समन्वय।
  • प्रमुख सूचना स्रोत: नागपुर पुलिस आयुक्त—डॉ. रविंद्र सिंगल।
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