नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिवंगत कैप्टन सुमीत सभरवाल के पिता द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार, DGCA और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। सभरवाल जून में अहमदाबाद के पास हुए एयर इंडिया बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान हादसे में पायलट-इन-कमांड थे। इस दर्दनाक दुर्घटना में 260 लोगों की जान चली गई थी। 91 वर्षीय कैप्टन सभरवाल के पिता ने अदालत से मांग की है कि इस हादसे की स्वतंत्र, निष्पक्ष और तकनीकी रूप से पारदर्शी जांच एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में कराई जाए। उनका कहना है कि चार महीने बीत जाने के बाद भी जांच प्रक्रिया स्वतंत्र रूप से आगे नहीं बढ़ी है।
“पायलट को दोष देना अनुचित” — सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमल्य बागची की बेंच ने पिता की व्यथा को समझते हुए कहा — “यह हादसा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन आपको यह बोझ नहीं उठाना चाहिए कि आपके बेटे को दोषी ठहराया जा रहा है। भारत में कोई यह नहीं मानता कि यह पायलट की गलती थी।” जस्टिस बागची ने भी कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट की कोई गलती या लापरवाही नहीं बताई गई है।

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट पर टिप्पणी
याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने सुनवाई के दौरान बताया कि वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में पायलट की गलती की ओर इशारा किया है।
इस पर जस्टिस बागची ने कहा — “हम विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स पर ध्यान नहीं देते। यदि किसी को उनसे आपत्ति है, तो उपाय विदेश में ही खोजा जा सकता है।”
जस्टिस सूर्य कांत ने भी इस रिपोर्टिंग को “बहुत खराब” बताया और कहा कि “भारत में कोई नहीं मानता कि इस दुर्घटना के लिए पायलट जिम्मेदार था।”
अगली सुनवाई 10 नवंबर को
बेंच ने बताया कि इस मामले से जुड़ा एक और मामला भी लंबित है, जिसे 10 नवंबर को साथ में सुना जाएगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि जांच पूरी तरह निष्पक्ष होनी चाहिए और किसी निर्दोष व्यक्ति पर दोषारोपण नहीं होना चाहिए।


