नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने गुरुवार (13 नवंबर) को स्पष्ट किया कि एयर इंडिया के हालिया विमान हादसे की प्रारंभिक जांच में पायलट की गलती का कोई उल्लेख नहीं है। मंत्रालय की यह टिप्पणी उस समय आई जब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, डीजीसीए और अन्य संबंधित प्राधिकारियों को नोटिस जारी किया था। यह नोटिस बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर के पायलट-इन-कमांड दिवंगत कैप्टन सुमीत सभरवाल के पिता पुष्कर राज सभरवाल द्वारा दायर याचिका पर जारी हुआ।

याचिकाकर्ता ने दुर्घटना की स्वतंत्र, निष्पक्ष और तकनीकी रूप से विशेषज्ञतापूर्ण जांच की मांग करते हुए कहा कि यह प्रक्रिया एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में होनी चाहिए। जून में अहमदाबाद के पास हुए इस हादसे में 260 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें 241 यात्री शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट ने परिवार को दी आश्वस्ति
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि यह अत्यंत दुखद दुर्घटना थी, लेकिन “आपको इस बोझ के साथ नहीं रहना चाहिए कि आपके बेटे को दोषी ठहराया जा रहा है… कोई भी उसे दोषी नहीं मानता।” न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने भी कहा कि AAIB की शुरुआती रिपोर्ट में पायलट की किसी गलती का संकेत नहीं है।
क्या हुआ था AI-171 के साथ?
12 जून 2023 को अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 हादसे का शिकार हो गई। प्रारंभिक AAIB जांच के अनुसार, बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के दोनों इंजन के फ़्यूल कंट्रोल स्विच उड़ान के तुरंत बाद लगभग एक साथ “रन” से “कटऑफ़” मोड पर चले गए।
अमेरिकी जांचकर्ताओं ने कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर के शुरुआती विश्लेषण में संकेत दिया था कि घटना के समय किसी वजह से इंजनों में ईंधन आपूर्ति रुक गई, जिसे लेकर कई तरह के सवाल उठे—क्या यह तकनीकी समस्या थी, प्रक्रियागत त्रुटि, या कोई अन्य कारण? कैप्टन सभरवाल के परिवार और पायलट संघों का कहना है कि तकनीकी खामियों, सिस्टम फेल्योर और पूरी प्रक्रियाओं की व्यापक जांच के बिना किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा जा सकता।


