
प्रदेश में उर्वरक की बिक्री को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। अब किसी भी विक्रेता की एल-1 पीओएस मशीन उसकी दुकान की सीमा से बाहर काम नहीं करेगी। जियो-फेंसिंग को अनिवार्य कर दिए जाने के बाद उर्वरक की बिक्री सिर्फ निर्धारित स्थान से ही संभव होगी। इससे किसानों को सही समय और सही जगह पर खाद उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
क्यों उठाया गया यह कदम?
लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ विक्रेता नियमों की अनदेखी कर मनचाहे किसानों को गुपचुप तरीके से उर्वरक दे देते थे। इसके लिए वे पीओएस मशीन लेकर किसानों के घर तक पहुंच जाते थे और वहीं अंगूठा लगवाकर बिक्री दिखा देते थे। कई बार निरीक्षण में स्टॉक और पीओएस में दर्ज बिक्री के आंकड़े भी मेल नहीं खाते थे। इसी स्थिति पर रोक लगाने के लिए सरकार ने जियो-फेंसिंग को अनिवार्य किया है।
नई व्यवस्था कैसे करेगी काम?
कृषि निदेशालय ने केंद्र के निर्देशों के आधार पर सभी जिलों को 25 नवंबर तक एल-1 पीओएस मशीनों में जियो-फेंसिंग अपडेट करने के आदेश दिए हैं। जियो-फेंसिंग लागू होने के बाद मशीन केवल दुकान की निर्धारित लोकेशन पर ही सक्रिय होगी तथा हर बिक्री का समय और स्थान सिस्टम में दर्ज होगा।
मुख्य बिंदु:
- जिस केंद्र पर पीओएस मशीन उपलब्ध नहीं है या निष्क्रिय है, उसकी सूची अपडेट कर निदेशालय को भेजी जाएगी।
- जियो-फेंसिंग प्रक्रिया लगभग 30–40 सेकंड में पूरी होकर सिस्टम में सेव हो जाएगी।
- उर्वरक वितरण प्रणाली को सुचारू और पारदर्शी करने के लिए केंद्र सरकार ने सभी पीओएस मशीनों में जियो-फेंसिंग लागू करने का निर्णय लिया है।


