देशभर में इंडिगो एयरलाइंस की सैकड़ों उड़ानें रद्द या विलंबित होने के बाद राजनीतिक हलकों में भी प्रतिक्रिया तेज हो गई है। शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब यात्रियों की परेशानी सुनने वाला कोई नहीं है, तो ऐसे मंत्रालय के अस्तित्व का क्या औचित्य है।
एएनआई से बातचीत में प्रियंका ने आरोप लगाया कि डीजीसीए यात्रियों के हितों की रक्षा करने की बजाय एयरलाइन कंपनियों के पक्ष में काम करता नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर नियामक संस्थाएं यात्रियों की उपेक्षा करेंगी तो हालात और बिगड़ेंगे।
प्रियंका चतुर्वेदी ने संसद में इस मुद्दे पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी रखा है। उन्होंने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि नागरिक उड्डयन मंत्री संसद में इस गंभीर स्थिति पर सफाई देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। केवल देर रात एक बैठक कर कुछ दिशानिर्देश जारी करना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि जमीनी हालात आज भी वैसे ही बने हुए हैं। उन्होंने बढ़ते हवाई किरायों और लगातार उड़ानों के रद्द होने को लेकर भी मंत्रालय की जवाबदेही तय करने की मांग की।
इस बीच, परिचालन समस्या का हवाला देते हुए इंडिगो ने दिल्ली से रवाना होने वाली सभी उड़ानें आधी रात तक रद्द कर दी हैं। एयरलाइन ने अपने A320 बेड़े के लिए उड़ान ड्यूटी समय सीमा से अस्थायी राहत मांगी है, जिसे 10 फरवरी 2026 तक लागू रखने का प्रस्ताव दिया गया है। डीजीसीए के अनुसार, कंपनी ने इस अवधि के भीतर परिचालन व्यवस्था को पूरी तरह स्थिर करने का आश्वासन दिया है।
बीते कुछ दिनों में देशभर में 500 से अधिक इंडिगो उड़ानें रद्द या विलंबित हो चुकी हैं, जिससे हज़ारों यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई एयरपोर्ट पर लोग घंटों तक बिना किसी स्पष्ट सूचना, वैकल्पिक उड़ान व्यवस्था, या बुनियादी सुविधाओं के फंसे रहे। यात्रियों का कहना है कि स्टाफ की कमी और चालक दल से जुड़े नए नियमों ने हालात और भी खराब कर दिए हैं, जिससे सबसे ज़्यादा नुकसान आम यात्रियों को झेलना पड़ रहा है।


