देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो इस समय गंभीर परिचालन संकट से गुजर रही है। लगातार सातवें दिन उड़ानों में भारी अव्यवस्था देखने को मिली। सोमवार को दिल्ली और बेंगलुरु एयरपोर्ट से संचालित होने वाली 250 से अधिक फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं, जिससे हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सूत्रों का कहना है कि हालात फिलहाल सामान्य होते नजर नहीं आ रहे हैं और यात्रियों की परेशानियां अभी और बढ़ सकती हैं।

कितनी उड़ानें रद्द हुईं?
इंडिगो ने सोमवार को कुल 251 उड़ानों का संचालन निरस्त किया। इनमें—
- दिल्ली एयरपोर्ट से:
- 75 प्रस्थान
- 59 आगमन
- कुल: 134 उड़ानें
- बेंगलुरु एयरपोर्ट से:
- 62 प्रस्थान
- 65 आगमन
- कुल: 117 उड़ानें
DGCA की सख्ती
उड़ानों के बड़े पैमाने पर रद्द होने के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने एयरलाइन प्रबंधन पर सख्त कदम उठाए हैं। नियामक संस्था ने इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर व अकाउंटेबल मैनेजर इसिड्रो पोरकेरस को जारी शो-कॉज नोटिस पर जवाब देने की समयसीमा बढ़ाकर सोमवार शाम 6 बजे तक कर दी है। DGCA का कहना है कि उड़ान संचालन में लापरवाही, योजना निर्माण, निगरानी और संसाधनों के प्रबंधन में गंभीर खामियों का नतीजा है।
यात्रियों और सरकार में रोष
2 दिसंबर से रोजाना उड़ानें रद्द होने के कारण यात्रियों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। सरकार की तरफ से भी नाराजगी व्यक्त की गई है। शुरुआती दिनों में इंडिगो ने इस स्थिति की गंभीरता स्वीकार नहीं की थी, लेकिन शुक्रवार को हालात बेकाबू हो गए जब रिकॉर्ड 1,600 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इसके बाद कंपनी के सीईओ ने वीडियो संदेश जारी कर यात्रियों से माफी मांगी, हालांकि उन्होंने इतने बड़े पैमाने पर कैंसिलेशन की कोई पूर्व सूचना नहीं दी थी।
क्या वजह है संकट की?
इंडिगो ने इस परिचालन संकट की वजह नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को बताया है, जिनका पालन सभी एयरलाइंस के लिए अनिवार्य किया गया है। DGCA द्वारा लागू किए गए ये नियम दो चरणों में 1 जुलाई और 1 नवंबर से प्रभावी हुए हैं। हालांकि इंडिगो को दूसरे चरण के अनुपालन में 10 फरवरी तक अस्थायी राहत दी गई है।
नए नियमों के अहम प्रावधान
- पायलटों के लिए साप्ताहिक 48 घंटे का अनिवार्य विश्राम
- ‘नाइट फ्लाइट’ की परिभाषा का विस्तार
- रात के समय लैंडिंग की सीमा 6 से घटाकर 2
शुरुआत में इंडिगो और एयर इंडिया समेत कई घरेलू एयरलाइंस ने इन नियमों का विरोध किया था। बाद में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद DGCA ने इन्हें चरणबद्ध रूप में लागू किया, ताकि कंपनियां अतिरिक्त पायलटों की व्यवस्था कर सकें।


