
आगरा कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सीके गौतम द्वारा भेजे गए प्रार्थनापत्र में खुलासा हुआ है कि कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. अनुराग शुक्ला, जिन्होंने वर्ष 2021 में पदभार संभाला था, पर फर्जी कागज़ात के आधार पर नौकरी प्राप्त करने का आरोप लगा था। इसी आरोप के चलते आयोग ने उनका चयन निरस्त कर दिया। निदेशक, उच्च शिक्षा प्रयागराज के निर्देश के बाद 29 नवंबर 2024 को उन्हें पदमुक्त करने का निर्णय लिया गया।
प्रबंध समिति ने 18 दिसंबर 2024 को वरिष्ठता के आधार पर डॉ. आर.के. श्रीवास्तव को कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त किया, लेकिन तत्कालीन प्राचार्य डॉ. शुक्ला ने उन्हें कार्यभार सौंपने से इंकार कर दिया। बाद में, शिक्षा सेवा आयोग से चयन होने के बाद 22 मार्च को प्रो. सीके गौतम ने प्राचार्य पद का कार्यभार ग्रहण किया। इस दौरान डॉ. श्रीवास्तव ने पत्र लिखकर बताया कि न तो उन्हें कार्यभार मिला और न ही कार्यालय से जुड़ी आवश्यक चाबियाँ या दस्तावेज।
प्रो. गौतम ने 26 जून को सात सदस्यों की जांच समिति गठित की। समिति की जांच में सामने आया कि डॉ. अनुराग शुक्ला जाने से पहले प्रबंध समिति बैठकों की मिनट्स बुक, स्टॉक रजिस्टर, अनेक अलमारियों की चाबियाँ, तथा प्रो. सीके गौतम सहित कई वरिष्ठ शिक्षकों—डॉ. भोपाल सिंह, प्रो. पी.बी. झा, डॉ. एस.के. पांडे और डॉ. संजय यादव—की सर्विस बुक अपने साथ ले गए। इसके अलावा टॉयलेट ब्लॉक निर्माण में लगभग 18 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप भी उन पर लगाया गया है।


