अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर प्रवासन “अमेरिकी सपने की चोरी” कर रहा है और इससे स्थानीय अमेरिकी श्रमिकों के अवसर कम हो रहे हैं। उनका यह बयान पोस्ट होते ही इंटरनेट पर बहस का तूफ़ान ले आया, जहां आलोचकों ने उन पर पाखंड का आरोप लगाया और मीम्स की बाढ़ आ गई।
आलोचकों ने वेंस की टिप्पणी को उनकी निजी पारिवारिक पृष्ठभूमि से जोड़ते हुए सवाल उठाए। उनकी पत्नी उषा भारतीय मूल के प्रवासियों की बेटी हैं, जिस पर एक यूज़र ने तंज कसते हुए लिखा कि “तो क्या वेंस को अब अपनी पत्नी, उनके परिवार और अपने द्विजातीय बच्चों को भी अमेरिका से बाहर भेज देना चाहिए? टिकट बुक करते वक्त हमें बताइएगा — उदाहरण खुद पेश करना होगा।”
वेंस के पोस्ट में यह भी दावा किया गया था कि जो अध्ययन प्रवासन के सकारात्मक प्रभाव की बात करते हैं, उन्हें “पुरानी व्यवस्था से लाभ उठाने वालों द्वारा प्रायोजित” किया जाता है। इस बयान को कई विशेषज्ञों ने तथ्यहीन बताया और इसे राजनीतिक बयानबाजी करार दिया।
इसी बीच, अमेरिका में कड़े आव्रजन प्रतिबंधों को लेकर भी चिंता बढ़ रही है। ट्रम्प प्रशासन ने 19 तथाकथित “उच्च जोखिम वाले” देशों से आने वाले आवेदनों पर व्यापक रोक लगा दी है, जिसके चलते लाखों लोगों के ग्रीन कार्ड, शरण आवेदन और नागरिकता संबंधी प्रक्रियाएं ठप पड़ गई हैं। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (USCIS) ने कहा है कि यह फैसला वाशिंगटन डीसी में एक सुरक्षा घटना के बाद उठाए गए एहतियाती कदमों से जुड़ा है।
हालांकि, प्रभावित प्रवासी परिवार और मानवाधिकार संगठन इन प्रतिबंधों को सामूहिक सज़ा के समान बता रहे हैं और इसे “सुरक्षा की आड़ में दंडात्मक नीति” करार दे रहे हैं। उनके अनुसार इस फैसले ने उन लोगों की ज़िंदगियों को संकट में डाल दिया है, जो वर्षों से अमेरिका में स्थायी भविष्य की आस लगाए बैठे थे।


