इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि यदि किसी आपराधिक मामले में आरोपी व्यक्ति को विदेश यात्रा के लिए अदालत से अनुमति या अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) मिल जाती है, लेकिन आदेश में पासपोर्ट की अवधि का ज़िक्र नहीं होता — तो पासपोर्ट विभाग केवल एक वर्ष की अवधि के लिए पासपोर्ट जारी करेगा। यह निर्णय न्यायमूर्ति अजित कुमार और न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने सुनाया। पीठ ने यह फैसला उस याचिका को खारिज करते हुए दिया, जिसमें एक व्यक्ति ने अदालत से मिली NOC के आधार पर 10 वर्ष की अवधि के लिए पासपोर्ट जारी करने की मांग की थी।
कोर्ट ने कहा — आदेश में अवधि न हो, तो पासपोर्ट सिर्फ एक साल का
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि — “यदि सक्षम अदालत के आदेश में पासपोर्ट की अवधि का उल्लेख नहीं किया गया है, तो पासपोर्ट अधिकारी एक बार में केवल एक वर्ष के लिए पासपोर्ट जारी कर सकते हैं। बाद में आवेदक अदालत की अनुमति के अनुसार इसका नवीनीकरण करा सकता है, बशर्ते अदालत का आदेश बदला या रद्द न हुआ हो।”

क्या था मामला
इस मामले में याचिकाकर्ता ने पीलीभीत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) के समक्ष विदेश यात्रा हेतु पासपोर्ट जारी करने की अनुमति मांगी थी। अदालत ने 10 अक्टूबर 2024 को उसे NOC दी। इसके बाद उसने बरेली क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में आवेदन किया, जिसने 20 जनवरी 2025 से 19 जनवरी 2026 तक के लिए केवल एक वर्ष की वैधता वाला पासपोर्ट जारी किया। जब याचिकाकर्ता ने पूरे 10 साल के लिए पासपोर्ट नवीनीकरण की मांग की, तो पासपोर्ट कार्यालय ने यह कहकर इनकार कर दिया कि अदालत के आदेश में अवधि तय नहीं की गई है।
1993 की विदेश मंत्रालय की अधिसूचना का हवाला
पासपोर्ट विभाग ने दलील दी कि विदेश मंत्रालय की 25 अगस्त 1993 की अधिसूचना के अनुसार, “यदि अदालत की अनुमति में अवधि का उल्लेख नहीं है, तो आरोपी को अधिकतम एक वर्ष के लिए ही पासपोर्ट जारी किया जा सकता है।” हाईकोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए कहा कि यह व्यवस्था पासपोर्ट अधिनियम, 1967 के अनुरूप है।


